नई दिल्ली । कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार सेना के अधिकारियों की पेंशन 'छीनकर' उनका मनोबल गिरा रही है। शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र की भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि मोदी सरकार उन अधिकारियों की सक्रिय सेवा के बाद पेंशन और वैकल्पिक कैरियर विकल्प छीनने वाली इतिहास में पहली सरकार बन गई है, जो हमारी मातृभूमि की रक्षा करते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा, "शहीद सैनिकों की वीरता और राष्ट्रवाद के नाम पर वोट बटोरने वाली मोदी सरकार देश के इतिहास की पहली सरकार बनने जा रही है, जो सीमा पर रोजाना अपनी जान की बाजी लगाने वाले सैन्य अफसरों की पेंशन काटने और सक्रिय सेवा के बाद उनके दूसरे करियर विकल्प पर डाका डालने की तैयारी में है।"
कांग्रेस नेता ने कहा, "एक तरफ तो प्रधानमंत्री मोदी सेना के लिए 'दीया' जलाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ साहसी और बहादुर सैन्य अफसरों की पेंशन काट अंधेरा फैलाने का दुस्साहस कर रहे हैं।"
सुरजेवाला ने कहा, "मोदी सरकार के नए प्रस्ताव के अनुसार, केवल वे अधिकारी, जिन्होंने सशस्त्र बल सेवा में 35 से अधिक वर्ष बिताए हैं, वही 'पूर्ण पेंशन' के हकदार होंगे। लेकिन वास्तविकता यह है कि सेना के 90 प्रतिशत अधिकारी इससे पहले ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में मोदी सरकार सेना के 90 प्रतिशत कर्मचारियों को उनकी पेंशन से वंचित करने की साजिश रच रही है।"
कांग्रेस ने कहा कि सेना में भर्ती के समय भारतीय सैन्य अकादमी के प्रत्येक अधिकारी को अनिवार्य रूप से 20-वर्षीय अनिवार्य बॉन्ड पर हस्ताक्षर करना होगा। 20 साल की सेवा के बाद एक अधिकारी को पेंशन के रूप में पिछले आहरित वेतन (लेटेस्ट सेलरी) का 50 प्रतिशत मिलता है, लेकिन मोदी सरकार का नया प्रस्ताव इसमें से 50 प्रतिशत छीन रहा है।
कांग्रेस ने 'सशस्त्र बलों में पेंशन के पुनर्विचार' के लिए आंतरिक ज्ञापन का भी हवाला दिया। सुरजेवाला ने कहा, "उदाहरण के लिए, यदि किसी अधिकारी को उनके अंतिम आहरित वेतन के रूप में एक लाख रुपये मिलते हैं, तो वर्तमान में उन्हें 50,000 रुपये पेंशन के रूप में मिलेंगे। लेकिन भाजपा के नए प्रस्ताव से अधिकारी को केवल 25,000 रुपये ही पेंशन के तौर पर मिल पाएंगे।"
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सेना के जवानों के हितों की अनदेखी करने और उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया है।
सुरेजवाला ने कहा, "सैन्य अफसरों की सेवाओं की शर्तों को भी बैक डेट से संशोधित नहीं किया जा सकता। जब सेना में भर्ती होते हुए 20 साल की अनिवार्य सेवा और 20 साल के बाद फुल पेंशन पर रिटायरमेंट की शर्त रखी गई है, तो आज मोदी सरकार उन सारी सेवा शर्तों को कैसे संशोधित कर सकती है? इससे सैन्य अधिकारियों का मनोबल टूटेगा।"
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत की तीनों सेनाओं में पहले से ही 9,427 अफसरों की कमी है। जून, 2019 के आंकड़े बताते हैं कि थल सेना में 7,399 नौसेना में 1,545 और वायु सेना में 483 अफसरों की कमी है।
पार्टी ने कहा कि सशस्त्र बलों में औसतन 65 प्रतिशत सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक सीमित हैं। केवल 35 फीसदी अधिकारी ही कर्नल या उससे ऊपर के पदों तक पहुंच पाते हैं।
--आईएएनएस
राहुल गांधी को 22 अप्रैल तक खाली करना होगा सरकारी आवास
खास खबर डॉट कॉम : टॉप हैडलाइंस
साबरमती से प्रयागराज का सफर खत्म : अतीक, भाई अशरफ व तीसरा आरोपी फरहान नैनी जेल में, उमेशपाल अपहरण कांड में कल कोर्ट में करेंगे पेश, फैसला सुनाया जाएगा
Daily Horoscope