नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति को लेकर पाकिस्तान अपने अच्छे मित्र चीन को छोड़कर अब तक किसी भी वैश्विक नेता को अपने पक्ष में नहीं कर सका है, जबकि वह लगातार सक्रियता से कूटनीतिक पहलों में जुटा हुआ है। यहां तक कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी निजी तौर पर दुनिया के कई देशों के प्रमुख नेताओं से बात कर इसका आग्रह किया, जिसमें मुस्लिम बहुल देश भी शामिल हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
साल 2014 में सत्ता में पहली बार आने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी रूप से विदेशी रिश्तों को मजबूत करने पर खासतौर से खाड़ी के देशों के साथ रिश्तों की बेहतरी पर बहुत ध्यान दिया और इस प्रयास का नतीजा अब देखने को मिल रहा है।
पाकिस्तान की अनदेखी करते हुए इस्लामिक सहयोग संगठन का प्रमुख सदस्य संयुक्त अरब अमीरात ने कहा है कि जम्मू एवं कश्मीर पर भारत द्वारा उठाया गया कदम उनका आंतरिक मसला है।
यहां तक कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने भी इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की, जबकि इमरान ने उन्हें फोन कर इस बार की शिकायत की थी। न ही मलेशिया के महाथिर मोहम्मद या तुर्की के रेशप तैयब एर्दोगन ने इस मसले पर कुछ कहा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कोआपरेशन (ओआईसी) कश्मीर संपर्क समूह की आपातकालीन बैठक बुलाने के लिए दौड़ कर जेद्दा गए। ओआईसी कश्मीर समूह हमेशा से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है, उसने भारत के इस कदम को अवैध करार दिया है, लेकिन भारत हमेशा इस समूह के नियमित बयानों को खारिज करता रहता है।
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