नई दिल्ली। महिला और बाल
कल्याण मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) ने मंगलवार को कहा कि कानून मंत्रालय ने
बाल यौन उत्पीड़न मामलों में समय-सीमा हटाने पर रजामंदी दे दी है।
केंद्रीय डब्ल्यूसीडी मंत्री मेनका गांधी ने तीन अक्टूबर को कानून मंत्री
रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर बचपन में हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज
कराने की समय सीमा को हटाने का आग्रह किया था, ताकि लोग '10-15 साल बाद भी'
ऐसे मामलों की शिकायत दर्ज करा सकें। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मंत्रालय ने एक बयान में
कहा, "कानून मंत्रालय ने पोस्को (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल
ऑफेंसेज) अधिनियम के साथ सीआरपीसी के प्रावधानों के अध्ययन के बाद यह
सिफारिश की है कि पोस्को अधिनियम, 2012 के तहत मामला दर्ज कराने के लिए खंड
19 में जो समय सीमा दी गई है, वह नहीं होनी चाहिए।"
गांधी ने कहा,
"अक्सर बच्चे ऐसे अपराधों के बारे में नहीं बताते हैं, क्योंकि अपराधी
ज्यादातर मामलों में परिवार का सदस्य ही होता है। कोई करीबी रिश्तेदार या
परिवार का बेहद करीबी व्यक्ति। अब कोई भी पीड़ित किसी भी उम्र में बचपन में
झेले गए यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है।"
--आईएएनएस
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