पिछले साल अक्टूबर में निर्वाचन आयोग ने आप विधायकों की वह याचिका खारिज कर
दी थी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ लाभ के पद का मामला खत्म करने का आग्रह
किया था। आयोग ने आप विधायकों को नोटिस जारी कर इस मामले पर स्पष्टीकरण
मांगा था। आप सरकार ने मार्च 2015 में दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्यता
निवारण) अधिनियम, 1997 में एक संशोधन पारित किया था, जिसमें संसदीय सचिव के
पदों को लाभ के पद की परिभाषा से मुक्त करने का प्रावधान था। लेकिन, तब
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उस संशोधन को स्वीकृति देने से इनकार कर दिया
था। इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने सितंबर 2016 में सभी नियुक्तियों को
अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा था कि संसदीय सचिव
नियुक्त करने के आदेश उप राज्यपाल की मंजूरी के बगैर जारी किए गए थे। ये भी पढ़ें - हजारों साल और एक करोड़ साल पहले के मानसून तंत्र पर जारी है रिसर्च, जाने यहां
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