नई दिल्ली। संरक्षणवादी
कार्यकर्ता निशा बोरा ने मंगलवार को पद्मभूषण कलाकार जतिन दास पर यौन
उत्पीड़न का आरोप लगाया। बोरा ने कहा कि जतिन ने अपने खिड़की गांव स्थित
स्टूडियो में 2004 में उनका यौन उत्पीड़न किया था।
जतिन ने इन आरोपों को हास्यास्पद और अशिष्ट करार देते हुए झूठा बताया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
निशा
बोरा ने मंगलवार अपराह्न् ट्वीट किया, "मैं जतिन से उनके स्टूडियो में
खिड़की गांव में मिली थी..दूसरी बात जो मैं जानती हूं वह यह कि उन्होंने
मुझे पकड़ने की कोशिश की थी। मैं घबराकर उनसे दूर हो गई। इसके बाद उन्होंने
फिर ऐसा करने की कोशिश की। इस बार वह भद्दे तरीके से मेरे होठों को चूमने
में कामयाब रहे।"
बोरा एलरहिनो पेपर की सह संस्थापक है। यह संगठन
असम में स्थित है, जो गैड़ो व हाथी के गोबर से हाथ के कागज बनाता है। बोरा
ने कहा कि वह दास से 2004 में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में मिली थीं। उस समय
बोरा की उम्र 28 साल थी।
बोरा ने कहा, "मैं आज भी उनकी दाढ़ी की
चुभन महसूस करती हूं। मैं उन्हें (जतिन दास) धक्का देकर दूर हो गई। उस समय
उन्होंने मुझसे कहा था कि आओ भी, अच्छा लगेगा। यह ऐसा ही कुछ।"
बोरा
ने कहा, "मेरा मानना था कि इस बारे में बात करने से दिक्कत पैदा होगी।
मुझे लगता था कि उस मुसीबत के लिए मैं खुद जिम्मेदार हूं और मुझे ही उससे
निपटना है। मैं खुद को दोषी और शर्मिदा महसूस करती थी।"
बोरा ने कहा कि वह जतिन दास की बेटी फिल्म निर्माता व अभिनेत्री नंदिता दास से छोटी थीं।
बोरा (42) का कहना है कि यौन उत्पीड़न की शिकार हो चुकीं महिलाओं की कहानियों को सुनकर उनके छिपे हुए घाव उभरकर सामने आ गए।
जतिन दास से जब आईएएनएस ने संपर्क किया तो दास ने इन आरोपों का खंडन किया और इसे हास्यास्पद व अशिष्ट बताया।
दास ने कहा, "यह भयावह है। इससे ज्यादा मैं क्या कह सकता हूं। यह बहुत ही घटिया है।" उन्होंने बोरा को पहचानने से भी इनकार कर दिया।
जतिन
दास (76) ने कहा, "अगर आप सैंकड़ों लोगों से मिलते हैं और जब कोई इस तरह
के आरोप लगाता है तो यह बहुत घटिया है। उन चेहरों को याद रखना बहुत मुश्किल
है, लेकिन कोई इस हद तक नहीं गिर सकता।"
--आईएएनएस
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