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कोरोना से हुई मौतों का दावा करने वाली एलआईसी आईपीओ संबंधी मीडिया रिपोर्टें तथ्यात्मक नहीं: केंद्र

Media reports on LIC IPO claiming deaths from Corona are not factual: Center - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि 2021 में बड़े पैमाने पर मौतों की पुष्टि करने वाले भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) आईपीओ संबंधी मीडिया दावा रिपोर्टे काल्पनिक हैं और ये तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा "एलआईसी द्वारा जारी किए जाने वाले प्रस्तावित आईपीओ से संबंधित एक मीडिया रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें एलआईसी द्वारा पालिसी धारकों और दावों के निपटारे का उल्लेख है। लेकिन इसमें कोरोना से होने वाली मौतों के बारे में जो दावा किया गया है वह निराधार है और पूरी तरह तथ्यों से परे हैं।" गौरतलब है कि एलआईसी ने अपने प्रस्तावित आईपीओ से पहले पिछले सप्ताह सेबी के समक्ष दस्तावेज पेश किए थे और उनमें पालिसी धारकों तथा उनके दावों के निपटान के बारे में जानकारी दी थी।

मंत्रालय ने आगे कहा कि एलआईसी द्वारा निपटाए गए दावे सभी कारणों से होने वाली मौतों के लिए जीवन बीमा पॉलिसियों से संबंधित हैं,लेकिन मीडिया रिपोटरें में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि कोविड की मौतों को कम करके आंका गया था और कोरोना से लोगों की मौत आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई मौतों से अधिक हैं। "यह त्रुटिपूर्ण व्याख्या है जो तथ्यों पर आधारित नहीं है और लेखक के पूर्वाग्रह को उजागर करती है। यह इस समझ की कमी को भी प्रकट करती है कि भारत में कोविड-19 की महामारी की शुरूआत के बाद से किस प्रकार से सार्वजनिक डोमेन में मौतों की संख्या दैनिक रूप से एकत्रित और प्रकाशित की जाती है। "

इसमें कहा गया है "देश में कोविड से होने वाली मौतों की रिपोर्ट करने की एक बहुत ही पारदर्शी और कुशल प्रणाली है। ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर और राज्य स्तर तक मौतों की सूचना देने की प्रक्रिया पर नजर रखी जाती है और पारदर्शी तरीके से इसे पूरा किया जाता है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि केन्द्र सरकार ने कोरोना मौतों को वर्गीकृत करने के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त वर्गीकरण को अपनाया है। इस तरह अपनाए गए मॉडल में,भारत में कुल मौतों का संकलन केंद्र राज्यों की स्वतंत्र रिपोटिर्ंग के आधार पर करता है।"

मंत्रालय ने कहा "सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कई माध्यमों, वीडियो कॉन्फ्रेंस,औपचारिक संचार और केंद्रीय टीमों की तैनाती के माध्यम से निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार मौतों के सही आंकड़ों का पता लगाने के लिए लगाया गया था। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 'उपयुक्त तरीके से मामलों को दर्ज करने के लिए दिशानिर्देश' भी जारी किए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित आईसीडी-10 कोड के अनुसार सभी मौतों के आंकड़े दर्ज किए जाते हैं।"

मंत्रालय ने कहा 'कोविड-19 जैसे वैश्विक स्वास्थ्य संकट के दौरान लोगों की मौत जैसे गंभीर मुद्दों को अत्यधिक संवेदनशीलता और प्रामाणिकता के साथ निपटाया जाना चाहिए। भारत में एक मजबूत नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) और नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) है जो कोविड महामारी के पहले से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अस्तित्व में है।"

मंत्रालय ने आगे कहा "देश में मौतों के पंजीकरण को कानूनी दर्जा प्राप्त है। इन मामलों में जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम (आरबीडी अधिनियम, 1969) के तहत राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त आधिकारियों द्वारा पंजीकरण किया जाता है। इस प्रकार, सीआरएस के माध्यम से हासिल आंकड़ों की अत्यधिक विश्वसनीयता है और इसका ही उपयोग किया जाना चाहिए।"

--आईएएनएस

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