दुष्कर्म पीडि़ता के नाम और तस्वीरें सार्वजनिक करने का खुद संज्ञान लेते
हुए अदालत ने कहा था कि यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पास्को) अधिनियम
की धारा 23 (मीडिया के लिए प्रक्रिया) के तहत कोई भी व्यक्ति जो पीडि़ता
बच्ची की पहचान उजागर करता है, उसे कम के कम छह महीने तक जेल भेजा जा सकता
है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यौन हिंसा की पीडि़ता की पहचान उजागर
करने के लिए सोशल मीडिया को एक साधन के रूप में प्रयोग करने के मामले को भी
देखेगा और मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को सूचीबद्ध कर दी। कठुआ में
नाबालिग को एक मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया था और हत्या करने से पहले उसके
साथ बार बार दुष्कर्म किया गया था। ये भी पढ़ें - यहां कब्र से आती है आवाज, ‘जिंदा हूं बाहर निकालो’
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