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'...भूलना मत', पहलगाम हमले पर मनोज मुंतशिर की देशवासियों से मार्मिक अपील

Manoj Muntashir emotional appeal to the countrymen on the Pahalgam attack - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली, । जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की चौतरफा निंदा हो रही है। इसी बीच शुक्रवार को बॉलीवुड के दिग्गज लेखक मनोज मुंतशिर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक वीडियो जारी करके लोगों से इस घटना को न भूलने की मार्मिक अपील की।
देशवासियों से पहलगाम हमले को नहीं भूलने की मार्मिक अपील करते हुए मनोज मुंतशिर ने कहा, "तुम भूल जाओगे, जैसे मुर्शिदाबाद, दिल्ली, कोलकाता भूल गए... पहलगाम भी भूल जाओगे। कल जो तड़प थी, आज नहीं है, आज जो है वह कल नहीं होगी और फिर नफरत के नक्शे पर कोई और शहर खून से लाल कर दिया जाएगा। इसलिए नहीं कि नफरत बड़ी ताकतवर है, इसलिए कि तुम्हारी याददाश्त कमजोर है, तुम भूल जाते हो। अपने बच्चों के लिए श्मशान छोड़कर जाना चाहते हो, तो यह वीडियो मत देखो, मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना। अगर तुम्हें लगता है कि जिनको दुनिया में लाए हो, उनके लिए एक सुरक्षित दुनिया छोड़कर जाना तुम्हारा धर्म है, तो इस बार मत भूलना।"



पहलगाम हमले में अपने पति शुभम को खोने वाली एशान्या का जिक्र करते हुए मुंतशिर ने कहा, "एशान्या के हाथों से अभी मेहंदी भी नहीं छूटी थी और मांग से सिंदूर छूट गया। शुभम नाम था एशान्या के पति का। नीली शर्ट पहने हुए थे शुभम, जब उनके बदन को इस्लामी आतंकवाद की गोलियों ने छलनी कर दिया। दो दिनों तक एशान्या वो खून से सनी हुई शर्ट पहन के रोती रही। वह नीली शर्ट भूलना मत।"



हमले में जान गंवाने वाले पुणे के संतोष का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "पुणे के संतोष जग्दाले जान बचाने के लिए अपनी पत्नी संगीता के साथ टेंट में जा छुपे। जिहादियों ने उन्हें खींच के बाहर निकाला। खुद को और अपने परिवार को दहशत की गोलियों से बचाने के लिए संगीता ने 'अल्लाह हु अकबर' बोल के अपने माथे की बिंदी पोछ ली, लेकिन उनकी आंखों के सामने संतोष को बेदर्दी से मार दिया गया, क्योंकि वह कलमा नहीं पढ़ पाए। एक सुहागन के माथे से उतरी हुई सुहाग की वह बिंदी भूलना मत।"



पिता को खोने वाले 12 वर्षीय तनुज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "अभी तो बाप से कहानियां सुनने की उम्र थी और इसी लड़कपन में उसका बाप कहानी बन गया। चेन्नई एयरपोर्ट पर पिता का शव उतरा तो तनुज लिपट कर रो पड़ा... 'आई लव यू अन्ना, यू आर माय बेस्ट फ्रेंड, यू विल ऑलवेज बी विथ मी।' 12 साल के कंधे जो अभी इतने भी मजबूर नहीं हुए थे कि पिता की अर्थी उठा पाएं, उन कंधों को भूलना मत।"



हमले में जान गंवाने वाले कर्नाटक के मंजूनाथ, और बेंगलुरु के भारत भूषण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "कर्नाटक के मंजूनाथ पहली बार अपने परिवार के साथ हवाई जहाज पर चढ़े थे, उसी हवाई जहाज से उनकी लाश उतारी गई। उनकी ज़िंदगी का पहला और आखिरी बोर्डिंग पास भूलना मत। बेंगलुरु के इंजीनियर भारत भूषण से आतंकियों ने धर्म पूछा, तो उन्होंने गर्व से कहा - 'हिंदू'। फिर उनके शरीर में तब तक गोलियां उतारी गईं, जब तक वह जमीन पर गिर के निष्प्राण नहीं हो गए। भारत भूषण का आखिरी शब्द 'हिंदू' भूलना मत।"



इस जघन्य आतंकवादी कृत्य पर मरने के लिए तैयार होने की चेतावनी देते हुए उन्होंने वीडियो के आखिर में कहा, "अगर हर बार की तरह इस बार भी भूल गए तो घी के कनस्तर, गेंदे और गुलाब के फूल, आम की लड़कियां, ये सब संभाल के रखना। तुम्हारे अपनों की चिताओं को इनकी जरूरत पड़ती रहेगी, भूलना मत।"



--आईएएनएस


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Web Title-Manoj Muntashir emotional appeal to the countrymen on the Pahalgam attack
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