नई दिल्ली। क्रीमी लेयर की अवधारणा के आधार पर एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर सवाल दागे हैं। खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के सात जजों ने एक फैसला दिया है, जिसमें उन्होंने एससी-एसटी वर्ग के लोगों के उप-वर्गीकरण के साथ ही क्रीमी लेयर की भी बात की है। भारत में अनुसूचित जाति के लोगों को सबसे पहले आरक्षण बाबा साहेब डॉ. (भीमराव) अंबेडकर के पूना पैक्ट के माध्यम से मिला। बाद में पंडित नेहरू और महात्मा गांधी जी के योगदान से इसे संविधान में मान्यता देकर, नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में भी लागू किया गया था।"
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उन्होंने कहा, "(आजादी के) 70 साल के बाद भी सरकारी नौकरियों में जब एससी-एसटी समुदायों के लोगों की भर्तियां देखते हैं, तो पाते हैं कि अब भी जो खाली पद नहीं भरे जा रहे हैं, अधिकतर पद खाली हैं। जिसका अर्थ है कि इन वर्ग के लोग, सम्मिलित रूप से मिलकर भी इन पदों को नहीं भर पा रहे। वे अब भी सामान्य वर्ग के लोगों के साथ बराबरी नहीं कर सकते।
"इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आरक्षण का आधार किसी समुदाय या व्यक्ति की आर्थिक तरक्की नहीं था, बल्कि यह समाज में हजारों साल से फैली अस्पृश्यता, छुआछूत को खत्म करने के लिए था जो समाज से अब भी खत्म नहीं हुआ है। कई उदाहरण रोज हमारे सामने आते हैं। इसलिए एससी-एसटी समुदाय में क्रीमी लेयर के बारे में बात करना ही गलत है। कांग्रेस पार्टी इसके खिलाफ है।"
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "एक तरफ सरकार धीरे-धीरे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेचकर नौकरियां खत्म कर रही है। ऊपर से भाजपा की दलित-आदिवासी (विरोधी) मानसिकता, आरक्षण पर निरंतर प्रहार कर रही है। सरकार चाहती तो इस मुद्दे को इसी सत्र में संविधान संशोधन लाकर सुलझा सकती थी। मोदी सरकार दो-तीन घंटे के अंदर नया विधेयक ले आती है तो यह भी संभव था।"
--आईएएनएस
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