नई दिल्ली। लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी जब बोलते थे, तो पूरा
सदन एकाग्रचित होकर उन्हें सुनता था। अपने राजनीतिक करिअर में उन्होंने
कामगार वर्ग तथा वंचित लोगों के मुद्दों को प्रभावी ढंग
से उठाकर उनके हितों के लिए आवाज बुलंद करने का कोई भी अवसर नहीं गंवाया।
सोमनाथ चटर्जी का वाद-विवाद कौशल, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों की
स्पष्ट समझ, भाषा के ऊपर पकड़ और जिस नम्रता के साथ वो सदन में अपना
दृष्टिकोण रखते थे उसे सुनने के लिए पूरा सदन एकाग्रचित होकर सुनता था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लोकसभा अध्यक्ष के रूप में व्यापक मीडिया कवरेज प्रदान करने हेतु सोमनाथ
चटर्जी के प्रयासों से ही 24 जुलाई 2006 से 24 घंटे का लोकसभा टेलीविजन
शुरू किया गया। उनके लोकसभा अध्यक्ष पर रहते हुए उनकी पहल पर ही भारत की
लोकतांत्रिक विरासत पर अत्याधुनिक संसदीय संग्रहालय की स्थापना की गई। 14
अगस्त 2006 को इस संग्रहालय का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति के कर कमलों से
किया गया। यह संग्रहालय जनता के दर्शन करने के लिए खुला है।
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