नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस उन पांच राज्यों में सियासी पिच को दुरुस्त करने की मशक्कत कर रही है, जो 2014 के चुनाव में उधड़ चुके थे। इन पांचों राज्यों में कांग्रेस दहाई सीट का आंकड़ा भी नहीं छू पायी थी। अब कांग्रेस हर हाल में गठबंधन के सहारे सीटों के गणित को अगले चुनाव में दुरूस्त करने की सियासी मशक्कत में जुटी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ये पांच राज्य हैं उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश। कांग्रेस 2014 के चुनाव में इन पांचों राज्यों की 226 सीटों में से अपने खाते में दहाई सीट का आंकड़ा भी नहीं छू पायी थी। 2019 की सियासी लड़ाई के लिहाज से कांग्रेस के लिए ये पांचों राज्य उसकी सबसे कमजोर कड़ी है। पांच राज्यों की 226 लोकसभा सीट में से कांग्रेस 2014 में केवल 8 सीट जीत
पायी। उत्तरप्रदेश व बिहार की दो-दो और पश्चिम बंगाल की चार सीट के अलावा
दो सूबों में खाता नहीं खुला। वहीं भाजपा को इन पांच सूबों में 97 लोकसभा
सीटों पर जीत मिली थी।
कांग्रेस इन पांच बड़े राज्यों की सवा दो सौ सीटों में गठबंधन के सहारे 2019 में अपनी सीटों की संख्या को करीब 40 तक ले जाने की महत्वाकांक्षी रणनीति पर काम कर रही है। इन सूबों में यह आंकड़ा हासिल किये बिना पार्टी उस 150 के अपने लक्ष्य के आस-पास नहीं पहुंच सकती जिसका ब्लूप्रिंट नवगठित कांग्रेस कार्यसमिति की पहली बैठक में वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने रखा था। इसीलिए चाहे उत्तरप्रदेश और बिहार हो या फिर पश्चिम बंगाल या तमिलनाडु कांग्रेस की सियासी उम्मीदों का पूरा दारोमदार गठबंधन पर है।-साभारजागरण
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