चुनाव आते-जाते रहेंगे। लेकिन देश और लोकतंत्र की अस्मिता के लिए भाषाई
मर्यादा की गारंटी तो लेनी ही होगी। किसी को भी देश को आहत करने वाले
बयानों से रोकने खातिर सख्ती पर ऐतराज नहीं होना चाहिए। चाहे कांग्रेस हो
या भाजपा या कोई भी दूसरा दल, सभी को ध्यान रखना होगा और उनकी तरफ से बोलने
वालों को हिदायत देनी होगी।
यह भी ध्यान रखना होगा कि भारत धर्मनिरपेक्ष
देश है। यही विशेषता दुनिया में हमारा मान बढ़ाती है। लेकिन यदि वोट की
खातिर महापुरुषों पर आपत्तिजनक बयानबाजी पर कड़ाई नहीं बरती गई तो निश्चित
रूप से आने वाला समय मुश्किलों भरा होगा। यह सब भारत की तासीर और विश्वगुरु
बनने के सपने के लिए भी बेहद घातक होगा। महज वोट के लिए कीचड़ उछालने की
राजनीति किसी भी दल की तरफ से नहीं होनी चाहिए।
दुनिया के बड़े देशों से तो
हम अपनी तुलना कर बैठते हैं, लेकिन वहां के राजनीतिक चलन से कितना सबक
लेते हैं? एक ओर चुनाव सुधार की बात होती है, वहीं दूसरी ओर धनबल का खुला
प्रदर्शन किया जाता है और चुनावों में भाषाई मर्यादा तार-तार की जाती है।
ऐसे दोहरे चरित्र व कथनी और करनी में अंतर पर भी गौर करना होगा।
(IANS)
लोकसभा चुनाव 2024: 3 बजे तक बिहार में 39.73%,J&K में 57.09% मतदान दर्ज,सबसे अधिक त्रिपुरा में 68.35% मतदान
त्वरित विश्लेषण - राजस्थान में 12 लोकसभा सीटों पर हो रहे चुनावों में बीजेपी-कांग्रेस में क्या कांटे की टक्कर है या बीजेपी को बढ़त मिल रही है...यहां पढ़िए
कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्कूलों में भर्ती अनियमितताओं की CBI जांच के आदेश को रखा बरकरार
Daily Horoscope