अगरतला/शिलांग/कोहिमा। पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में शनिवार को हुई मतगणना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) वाम मोर्चे के 25 वर्षों के शासन का अंत कर सरकार बनाती दिख रही है। रुझानों के मुताबिक, भाजपा और उसकी गठबंधन साझेदार पार्टी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) 59 सीटों में से 39 सीटों पर आगे है। भाजपा 33 सीटों पर आगे है, जबकि आईपीएफटी सात सीटों पर बढ़त बनाए हुए है और एक सीट जीत चुकी है। त्रिपुरा में भाजपा को 2013 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1.5 फीसदी वोट मिले थे और 50 में 49 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वहीं, वाम मोर्चे को 2013 के चुनाव में कुल 50 सीटें मिली थीं और वह अभी सिर्फ 18 सीटों पर आगे चल रही है। माकपा और भाकपा गठबंधन को 44 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं, जो पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में लगभग छह फीसदी कम है। माकपा को अकेले 43.3 फीसदी वोट मिले हैं। मुख्यमंत्री माणिक सरकार धनपुर सीट पर आगे चल रहे हैं।
भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब (बनामालीपुर) आगे चल रहे हैं। वह राज्य के अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं। इसके अलावा सुदीप रॉय बर्मन (अगरतला), रतनलाल नाथ (मोहनपुर), ए.रामपद जमातिया (बागमा), दिलीप कुमार दास (बरजाला), दिबा चंद्र रांगकावल (करमचारा), आशीष कुमार साहा (बोडोवाली), रतन चक्रवर्ती (खायेरपुर), अतुल देबबर्मा (कृष्णपुर) और सुशांत चौधरी (मजलिपुर) आगे चल रहे हैं।
आईपीएफटी के उम्मीदवार नरेंद्र चंद्र देबबर्मा (तकरजला), मेवार कुमार जमातिया (आश्रमबाड़ी) और प्रशांत देबबर्मा (रामचंद्रघाट) भी आगे चल रहे हैं। भाजपा के महासचिव राम माधव ने यहां संवाददताओं से कहा, ‘‘हम त्रिपुरा के रुझानों से खुश हैं, जहां भाजपा 40 से अधिक सीटों से सरकार बनाती दिख रही है।’’ उन्होंने स्वीकार किया कि माकपा ने त्रिपुरा में कड़ी टक्कर दी है, लेकिन लोगों ने बदलाव के लिए मतदान किया है।
कांग्रेस खाता तक खोलने में असफल रही। कई उम्मीदवारों की तो जमानत तक जब्त हो गई।
दिग्गज वाम उम्मीदवारों में निवर्तमान जनजातीय कल्याण मंत्री अघोर देबबर्मा (आश्रमबाड़ी), वन एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेश चंद्र जमातिया (बगमा), त्रिपुरा विधानसभा के उपसभापति पबित्रा कर (खायेरपुर), बिजय लक्ष्मी सिन्हा (कमालपुर), समिरन मलाकर (पबियाचारा), मनोरंजन देबबर्मा (मंडई बाजार), रतन दास (रामनगर), महिंद्र चंद्र दास (कल्याणपुर-प्रमोदनगर) और मुख्य सचेतक बसुदेब मजूमदार (बेलोनिया) पीछे चल रहे हैं।
वाम मोर्चे के जो उम्मीदवार आगे चल रहे हैं, उनमें मुख्यमंत्री और माकपा पोलितब्यूरो के सदस्य माणिक सरकार (धनपुर), स्वास्थ्य एवं लोककल्याण मंत्री बादल चौधरी (ऋषमुख), शिक्षा मंत्री तपन चक्रबर्ती (चांदीपुर), सूचना, खाद्य एवं नगारिक आपूर्ति मंत्री भानुलाल साहा (बिशालगढ़), खेल एवं युवा मामलों के मंत्री शाहिद चौधरी, त्रिपुरा विधानसभा अध्यक्ष रामेंद्र चंद्र देबबर्मा और जेल मंत्री महिंद्रा रेंग हैं।
राज्य के 20 स्थानों में बनाए गए 59 मतगणना केंद्रों पर तीन स्तरीय सुरक्षा के इंतजाम किए गए। राज्य में सत्तारूढ़ माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और निर्दलियों सहित कुल 290 उम्मीदवार चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं। इनमें कुल 23 महिलाएं भी हैं।
राज्य में मतदान से एक सप्ताह पहले माकपा के उम्मीदवार रामेंद्र नारायण देबबर्मा के निधन के कारण चारीलाम सीट (जनजातियों के लिए आरक्षित) पर मतदान स्थगित कर दिया गया था, जहां 12 मार्च को मतदान होगा। नगालैंड में सत्तारूढ़ नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) 20 सीटों पर आगे है जबकि वह चार सीट जीत चुकी है। भाजपा सात सीटों पर आगे चल रही है। ये आंकड़े 50 सीटों में से 59 के हैं, जहां 27 फरवरी को मतदान हुआ था।
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