नई दिल्ली। पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने शनिवार को एक विवादित निर्देश जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा है कि अब केन्द्र शासित प्रदेश के जिन गांवों में लोग खुले में शौच करेंगे तो उन्हें सरकार द्वारा वितरित किया जाने वाला मुफ्त चावल नहीं दिया जाएगा। साथ ही उन गावों को भी बिना दाम के चावल नहीं मिलेंगे, जो गांव कूड़े से मुक्त नहीं है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हालांकि इस विवादित निर्देश पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बाद उन्होंने इस फैसले को वापस ले लिया। अपने निर्देश पर बेदी ने कहा कि पुडुचेरी के गांवों में साफ सफाई की हालत ज्यादा खराब है और जहां खुले में शौच और कूड़ा पाया गया, वहां मुफ्त राशन वितरण नहीं होगा।
बेदी ने कहा, हमें जरूरत है कि स्थानीय समुदायों पर अपने जगहों को साफ-सुथरा और स्वस्थ रखने के लिए जिम्मेदारी सौंपी जाय। उन्होंने कहा, इसलिए शर्त रखी गई कि जो गांव खुले में शौच से मुक्त होंगे और प्लास्टिक और कूड़े से मुक्त होने सर्टिफिकेट दे, वहीं पर चावल वितरण किया जाय। उन्होंने कहा, इसी के अनुसार मैंने सिविल सप्लाई के निदेशक को निर्देश जारी किया था। गांवों को चार हफ्तों में यानि 31 मई तक स्वच्छ बनाने के लिए एक नोटिस दिया गया है।
उपराज्यपाल के इस फैसले पर द्रविड मुनेत्र कडग़म (डीएमके) के कार्यकारी अध्यक्ष ने विरोध जताते हुए लिखा, मुफ्त चावल वितरण को सफाई से जोडऩा सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।
कांग्रेस पार्टी ने उपराज्यपाल के इस फैसले को तानाशाही बताया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस पर जवाब मांगा। वहीं ऑल इंडिया अन्ना द्रविड मुनेत्र कडग़म (एआईएडीएमके) ने भी उपराज्यपाल के इस फैसले का कड़ा विरोध किया। भारी विरोध के बाद किरण बेदी ने अपना फैसला शनिवार शाम को वापस ले लिया।
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