बेंगलुरू। सत्तारूढ़ भाजपा की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) परियोजना को 'नागपुर शिक्षा नीति' करार देने के बाद, कर्नाटक कांग्रेस सामाजिक मंचों पर इसके मुखालफत की योजना बना रही है और लोगों से अपनी राय, विचार और कम से कम एक वर्ष के लिए इसके कार्यान्वयन का स्थगन की मांगों को दर्ज करने का अनुरोध कर रही है। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने सोमवार को लोगों से एनईपी पर खुलकर सामने आने की अपील की। उन्होंने कहा, "मैं इस संबंध में सभी लोगों से अपील करता हूं। मैं व्यक्तिगत रूप से विचारों को देखूंगा, उन्हें पढ़ूंगा और उन्हें राज्य सरकार के सामने लाऊंगा।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
शिवकुमार ने एनईपी पर बहस शुरू कर दी है और सवाल उठाया है कि एनईपी अपने आप में एक समाधान होगा या समस्या। उन्होंने आरोप लगाया, "सत्तारूढ़ भाजपा जल्दबाजी में एनईपी लागू कर रही है। उन्होंने हमारी राय, आपकी (लोगों की) राय, शिक्षकों, बच्चों या विशेषज्ञों की राय लेने की ज़हमत नहीं उठाई।"
केपीसीसी प्रमुख ने कहा कि भाजपा अपनी 'नागपुर शिक्षा नीति' के माध्यम से "हम पर हिंदी भाषा थोपने की योजना बना रही है। क्या वे चाहते हैं कि कन्नड़ लोग चुपचाप बैठें? एनईपी हिंदी, अंग्रेजी और कन्नड़, तीनों भाषाओं को अनिवार्य बनाता है। भाजपा पिछले दरवाजे से हिंदी का प्रवेश सुनिश्चित कर रही है।"
"एनईपी ऑनलाइन शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सरकार पहले ग्रामीण क्षेत्रों में हमारे सभी बच्चों को इंटरनेट कनेक्शन, स्मार्ट फोन प्रदान करें। इस सरकार ने स्कूली छात्रों को पाठ्यपुस्तकें वितरित नहीं की हैं। वे एक नई प्रणाली को लागू करने के लिए कमर कस रहे हैं।"
शिवकुमार ने कहा, "भाजपा इस साल एनईपी को पूरी तत्परता से लागू कर रही है। इस विषय पर चर्चा को सुविधाजनक बनाने के लिए इसे कम से कम एक साल के लिए टाल दिया जाना चाहिए।"
कांग्रेस ने यह भी घोषणा की है कि वह 13 सितंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में इस मुद्दे पर बहस के लिए दबाव बनाएगी।
उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वथ नारायण ने शिवकुमार के बयानों को 'गैर जिम्मेदाराना' टिप्पणी करार दिया है। उन्होंने कहा, "जो लोग एनईपी के बारे में जानते हैं और जिन्होंने इसका अध्ययन किया है वह निष्पक्ष ज्ञान रखते हैं, वे इसके खिलाफ नहीं बोलेंगे। यह बयान केवल राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने के लिए जारी किए जा रहे हैं।"
"उन्हें एनईपी को नागपुर शिक्षा नीति नहीं कहना चाहिए था। उनकी आलोचना का उल्टा असर होगा। उनके पास एनईपी की कमियों को इंगित करने के लिए कुछ भी नहीं है।"
उन्होंने बचाव किया कि "एनईपी पर चर्चा करके शिवकुमार ने खुद को बेनकाब कर दिया है। उन्हें एनईपी पर जानकारी मिलने के बाद बोलने दें। मैं उन्हें आवश्यक जानकारी देने के लिए तैयार हूं। एनईपी का कार्यान्वयन राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा है। वहां राजनीति नहीं होनी चाहिए।"
--आईएएनएस
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