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कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल, शेखर यादव मामले में सरकार और चेयरमैन पर साधा निशाना

Kapil Sibal raised questions, targeted the government and the chairman in the Shekhar Yadav case - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली । समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव के मामले को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने प्रेसवार्ता में सरकार और राज्यसभा चेयरमैन पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या शेखर यादव को बचाने की कोशिश की जा रही है?
सिब्बल ने कहा कि शेखर यादव का बयान सार्वजनिक है और इसमें कोई दो राय नहीं है, फिर भी सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस प्रक्रिया को रोकने के लिए चेयरमैन ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) को पत्र लिखा।
सिब्बल ने कहा कि 13 फरवरी 2025 को राज्यसभा चेयरमैन ने बयान दिया था कि जज शेखर यादव के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार संवैधानिक रूप से संसद और राष्ट्रपति के पास है। इसके बाद मार्च 2025 में राज्यसभा के महासचिव ने सीजेआई को पत्र लिखकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में आगे कार्रवाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि महाभियोग की प्रक्रिया संवैधानिक है और इसे संसद के जरिए ही आगे बढ़ाया जाएगा।
सिब्बल ने सवाल उठाया कि जब महाभियोग प्रस्ताव अभी स्वीकार भी नहीं हुआ है, तो इन-हाउस प्रक्रिया से इसका क्या संबंध है?
उन्होंने कहा कि इन-हाउस प्रक्रिया इसलिए बनाई गई थी, ताकि अगर कोई हाई कोर्ट जज अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन न करे, तो उसकी जांच हो सके।
सिब्बल ने जोर देकर कहा कि शेखर यादव का बयान सबके सामने है और उन्होंने इसे नकारा भी नहीं है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना चाहिए था कि क्या ऐसा जज अपनी कुर्सी पर बैठने के लायक है।
उन्होंने कहा कि महाभियोग की प्रक्रिया अलग है और इसका इन-हाउस जांच से कोई लेना-देना नहीं है। अगर सरकार को यह प्रक्रिया पसंद नहीं, तो इसे रद्द करने का अलग तरीका है।
सिब्बल ने चेयरमैन के उस बयान पर भी सवाल उठाया जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें शेखर यादव मामले की जानकारी पब्लिक डोमेन से मिली।
सिब्बल ने पूछा, "अगर पब्लिक डोमेन की जानकारी के आधार पर चेयरमैन ने सीजेआई को पत्र लिखा, तो जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया गया?"
उन्होंने आरोप लगाया कि यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच की खबरें भी पब्लिक डोमेन में थीं, लेकिन तब कोई पत्र नहीं लिखा गया।
सिब्बल ने कहा कि इससे लगता है कि सरकार शेखर यादव को बचाना चाहती है।
उन्होंने आगे कहा कि शेखर यादव 2026 में रिटायर हो जाएंगे, और ऐसा लगता है कि मामला तब तक लटकाया जाएगा। सिब्बल ने आशंका जताई कि या तो इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होगी, या फिर 6-7 सांसदों के हस्ताक्षर को गलत बताकर महाभियोग प्रस्ताव खारिज कर दिया जाएगा। इससे शेखर यादव रिटायरमेंट तक कुर्सी पर बने रहेंगे।
सिब्बल ने एक और मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जब एक राज्य सरकार ने विधेयक पारित करने में देरी की, तो चेयरमैन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को यह तय करने का हक नहीं कि फैसला कितने महीनों में होना चाहिए। लेकिन अब शेखर यादव मामले में चेयरमैन ने सुप्रीम कोर्ट को कार्रवाई से रोका। सिब्बल ने इसे दोहरा रवैया करार दिया।
उन्होंने कहा कि यशवंत वर्मा मामले में चेयरमैन ने पब्लिक डोमेन की खबरों पर चुप्पी साधी, लेकिन शेखर यादव मामले में तुरंत पत्र लिखा गया। सिब्बल ने मांग की कि इस मामले में पारदर्शिता हो और सुप्रीम कोर्ट को अपना काम करने दिया जाए।
--आईएएनएस

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Web Title-Kapil Sibal raised questions, targeted the government and the chairman in the Shekhar Yadav case
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