दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने बताया, सीसीटीवी फुटेज से नकाबपोशों की पहचान
करने में बहुत मदद मिलेगी। भले ही उनके चेहरे क्यों न ढंके हों। मगर उनके
कपड़ों और शारीरिक ढांचे से उन्हें पहचानने में आसानी हो जाएगी। मोबाइल और
सीसीटीवी फुटेज की मदद से ही एक ऐसी नकबापोश लडक़ी की पुलिस ने पहचान कर ली
है, जो दोपहर बाद जिस शर्ट में कैंपस में दिखाई दे रही थी, रात के अंधेरे
में हुई हिंसा के दौरान भी वह उसी शर्ट में फुटेज में साफ-साफ नजर आ रही
है।
दिल्ली पुलिस के एक विशेष आयुक्त स्तर के अफसर के मुताबिक, जांच के
दौरान क्राइम ब्रांच को यह भी देखना तलाशना होगा कि लाठी-डंडों से लैस
नकाबपोश जब अंदर पहुंचे और शाम को जब कैंपस के भीतर खून-खराबा शुरू हुआ, तब
अचानक ही कैंपस के अंदर तमाम हिस्सों में अंधेरा आखिर कैसे और क्यों छा
गया? बिजली अगर विभाग द्वारा काटी गई होगी तो पुलिस को विद्युत विभाग तुरंत
बता देगा। अगर साजिशन लाइट काटी गई होगी तो इसे पता करने जरूर क्राइम
ब्रांच को थोड़ी मुश्किल होगी।
उल्लेखनीय है कि इस घटना में 40 से ज्यादा
छात्र और शिक्षक जख्मी हुए हैं। वसंतकुंज थाने में पुलिस की तरफ से अभी तक
एक मामला दर्ज कराया जा चुका है। यह मारपीट और दंगा कितना भयावह था, इस
बारे में डीसीपी स्तर के एक अधिकारी ने बताया, रविवार शाम-रात जेएनयू कैंपस
से 100 से ज्यादा ऐसी कॉल्स पुलिस नियंत्रण कक्ष को मिलीं, जिनमें लोग
अपनी जान बचाने के लिए पुलिस से गुहार लगाते सुने गए।
(IANS)
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