ऐसे में यदि कांग्रेस-झामुमो-राजद गठबंधन या भाजपा सरकार गठन के लिए आवश्यक
42 सीटें जीतने से दूर रह जाते हैं तो उस स्थिति में कथित उद्योगपति हेमंत
सोरेन को झारखंड का अगला मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। हेमंत सोरेन दुमका
से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां शुक्रवार को मतदान हो रहा है। इसके अलावा
झारखंड में सत्ता के गलियारे में रसूख रखने वाले एक मौजूदा राज्यसभा सदस्य
की भी इस काम में मदद ली जा सकती है।
वह महतो या मरांडी को या फिर दोनों को
कांग्रेस-झामुमो-राजद की सरकार बनाने में सहयोग करने के लिए राजी कर सकते
हैं। राज्यसभा के ये सांसद उस उद्योगपति के विश्वासपात्र माने जाते हैं।
सुदेश महतो ने सीटों को लेकर समझौता न हो पाने पर चुनाव पूर्व राजग छोड़
दिया था, वहीं पूर्व में भाजपा के लिए चुनाव लड़ चुके मरांडी अब भाजपा के
बदले कांग्रेस और झामुमो के साथ काम करने में ज्यादा सहज हैं।
मरांडी की
जेवीएम-पी की चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए कांग्रेस-झामुमो-राजद गठबंधन से
बातचीत चल रही थी, लेकिन अधिक सीटों की मांग के कारण बातचीत नहीं बन पाई।
यदि किसी ने चुनाव बाद झामुमो-भाजपा गठबंध के बारे में सोचा होगा, तो अब
सोरेन की विवादास्पद टिप्पणी के साथ उसकी संभावना भी खत्म हो गई है। हेमंत
सोरेन ने कहा था कि भगवाधारी नेता शादी नहीं करते, लेकिन महिलाओं के साथ
दुष्कर्म करते हैं।
पाकुड़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सोरेन ने
बुधवार को कहा था, मैंने सुना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ भी झारखंड के चक्कर लगा रहे हैं। ये भाजपा के लोग ऐसे हैं, जो
शादी नहीं करते हैं, लेकिन भगवा धारण करते हैं, वे बच्चियों और बहुओं के
साथ दुष्कर्म करते हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि या तो राज्य में
कांग्रेस, झामुमो, राजद गठबंधन की सरकार बनेगी या फिर भाजपा की।
राज्य के
एक से अधिक भाजपा नेताओं ने आईएएनएस से इस बात की पुष्टि की है कि भाजपा का
नारा 65 पार एक अवास्तविक सपना है। उन्होंने कहा कि भाजपा शायद 40 सीटें
भी न पार कर पाए और 32 या 36 के बीच रह जाए। वहीं, एक केंद्रीय नेता ने जोर
देकर कहा कि पिछले दो चरणों में बेहतर नतीजों से भाजपा की संख्या बढ़ सकती
है। लेकिन उन्होंने माना कि 38 सीटों का आंकड़ा पार करना एक कठिन सवाल
होगा।
भाजपा के एक नेता ने दावा किया, दूसरे चरण में 20 सीटें दांव पर थीं,
जिसमें से हम छह सीटें ही हासिल कर सकते हैं। इसका ज्यादातर कारण
मुख्यमंत्री रघुबर दास के खिलाफ गुस्सा है, जिनके निर्वाचन क्षेत्र में भी
दूसरे चरण में मतदान हुआ। त्रिशंकु विधानसभा की संभावनाएं दिखाई दे रही
हैं। ऐसे में सभी की निगाहें एग्जिट पोल के नतीजों पर रहेंगी।
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