गौरतलब है कि पश्चिमी सिंहभूम जिले में नक्सल प्रभावित गुदड़ी प्रखंड के
बुरुगुलीकेरा गांव में 19 जनवरी को पत्थलगड़ी समर्थकों ने पत्थलगड़ी का
विरोध करने वाले एक पंचायत प्रतिनिधि समेत सात ग्रामीणों की लाठी, डंडों और
कुल्हाड़ी से हमला कर नृशंस हत्या कर दी थी। पत्थलगड़ी आंदोलन के तहत
ग्रामसभा की स्वायत्तता की मांग की जा रही है। ये लोग चाहते हैं कि आदिवासी
लोगों के क्षेत्र में कोई विधि-शासन व्यवस्था लागू न हो। पत्थलगड़ी
आंदोलनकारियों ने जंगलों और नदियों पर सरकार के अधिकार को खारिज कर दिया
है।
इस आंदोलन के तहत समर्थक किसी गांव के बाहर एक पत्थर गाड़ देते हैं और
उस गांव को स्वायत्त क्षेत्र घोषित कर देते हैं और इसके बाद वे वहां बाहरी
लोगों की आवाजाही रोक देते हैं। पूर्व रघुवर सरकार ने राज्य में पत्थलगड़ी
समर्थकों के खिलाफ 2018 में सख्त कार्रवाई की थी।
उस समय इसके नेताओं की
बड़े पैमाने पर धरपकड़ कर उनके खिलाफ सरकारी कामकाज में बाधा डालने और
संविधान की अवहेलना करने के आरोप में देशद्रोह के भी मुकदमे दर्ज किए गए
थे। राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक
में पत्थलगड़ी समर्थकों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने का फैसला लिया गया
था।
(IANS)
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