नई दिल्ली। भारत के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की हालिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) या भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही अर्थव्यवस्था में बदलाव आया है। बीमार रहने के कारण काफी समय तक अवकाश पर रहे अरुण जेटली ने इसी सप्ताह वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला है। उन्होंने अपने ट्विटर और फेसबुक पोस्ट में कहा कि 2014 और 2018 में जारी आंकड़ों से साबित होता है कि उच्च मुद्रास्फीति, राजकोषीय घाटा और चालू खाता घाटा के साथ-साथ बुनियादी ढांचागत व बिजली क्षेत्र में गतिरोध पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की विफलता के कारण थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि हमने काफी प्रगति की है। पिछले चार साल में सरकार ने विधायी व अन्य मामलों में सिलसिलेवार ढंग से सुधार लाए हैं। तंत्र में काफी स्वच्छता और पादर्शिता आई है। उन्होंने कहा कि निर्णय लेने की क्षमता आने से निर्णय लेना आसान हो गया है और इससे अर्थव्यवस्था कई अन्य देशों के मुकाबले अधिक प्रगतिशील बन गई है। मैं सभी से आईएमएफ की दो रिपोर्ट पढऩे का आग्रह करता हूं। रिपोर्ट की प्रति सार्वजनिक रूप से उपब्ध है। वर्ष 2014 के हालात के संदर्भ में रिपोर्ट के बारे में वित्तमंत्री ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर तरलता का अभाव होने से बाहरी दवाव बढऩे से भारत के समष्टिगत असंतुलन (उच्च मुद्रास्फीति और वृहत चालू खाता व राजकोषीय घाटा) और संरचनात्मक कमजोरी (खासतौर से इन्फ्रास्ट्रक्चर, बिजली और खनन में अवरोध) में इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 4.6 फीसदी तक सुस्त पड़ सकती है, जोकि एक दशक का सबसे निचला स्तर है। वित्तवर्ष के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई पर दोहरे अंक के आसपास रह सकती है। चालू खाते का घाटा कम हो रहा है, जोकि निर्यात में सुधार, विदेशी आय प्रवाह में वृद्धि और सोने के आयात में तेजी से हो रही कमी से प्रेरित है। वित्तमंत्री ने 2018 के हालात के संबंध में आईएमएफ की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘लगातार उच्च मुद्रास्फीति, वृहत वित्तीय और बाह्य असंतुलनों के बावजूद भारत में प्रतिचक्रीय नीतियों को अपनाना बमुश्किल है।
उन्होंने कहा कि स्थायित्व केंद्रित व्यापक आर्थिक नीतियों और संरचनात्मक सुधारों की प्रगति के नतीजे मिल रहे हैं। नवंबर 2016 में मुद्रा में बदलाव करने की पहल और जुलाई 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से 2017-18 में आर्थिक विकास की दर 6.7 फीसदी तक सुस्त पड़ गई, लेकिन निवेश में तेजी आने से सुधार हो रहा है।
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