नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना (IAF) को उम्मीद है कि 114 लड़ाकू विमानों को खरीदने का उनका नया प्रयास फ्रांसीसी राफेल की खरीदारी की प्रक्रिया से अधिक शीघ्र होगा जिसमें 10 सालों से अधिक समय लग गया। राफेल अनुबंध के 126 से 36 तक कम होने के बाद भारतीय वायु सेना ने 114 जेट खरीदने के लिए एक बार फिर से वैश्विक बाजार में कदम रखा था। बोइंग, लॉकहीड मार्टिन इंडिया, यूरोफाइटर, रशियन यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन और साब जैसे सभी प्रमुख फाइटर निर्माता लगभग 1500 करोड़ डॉलर के अनुबंध की दौड़ में हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इन कंपनियों ने इससे पहले मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) नीलामी प्रक्रिया में भी हिस्सा लिया था। भारत से ऑर्डर प्राप्त करने के प्रतिस्पर्धा के चलते उन्होंने कुछ अच्छे ऑफर्स भी निकाले। अमेरिकी विमान निर्माताओं ने भारत में एफ-16 और एफ-16 जेट की उत्पादन लाइनें स्थापित करने की पेशकश की।
नई दिल्ली और पेरिस 36 और राफेल की आपूर्ति संभावनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। इन सबके अलावा और भी कई अवसर हैं। लड़ाकू विमानों की नई लाइन को शामिल करने में देरी होने से पहले से ही भारतीय वायु सेना के युद्ध से संबंधित योजनाओं पर असर पड़ा है।
लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण - त्रिपुरा, सिक्किम में 80 फीसदी से ज्यादा मतदान, बिहार में 50 फीसदी से कम मतदान
राहुल की कप्तानी पारी, लखनऊ ने सीएसके को आठ विकेट से हराया
केन्या में भारी बारिश से 32 लोगों की मौत
Daily Horoscope