नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए भारत रूस के साथ मिलकर काम करेगा। उद्योग निकाय फिक्की द्वारा आयोजित भारत-रूस व्यापार संवाद को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा- व्यापार असंतुलन के बारे में कुछ चिंताएं हैं और हमें इस असंतुलन को दूर करने के लिए अपने रूसी समकक्षों के साथ काम करने की जरूरत है। हमें छोटी और मध्यम अवधि की चुनौतियों के बारे में ईमानदार होना चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने आगे कहा कि दोनों तरफ व्यापार को प्रेरित करने की जरूरत है। जयशंकर ने कहा, आप देख सकते हैं कि 'मेक इन इंडिया' जैसे बड़े बदलाव हो रहे हैं। हम भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र (ग्लोबल मैन्युफैक्च रिंग हब) बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं 'मेक इन इंडिया' पर जोर देना चाहता हूं।
इस अवसर पर रूसी उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और साथ ही उद्योग और व्यापार मंत्री भी उपस्थित थे।
जयशंकर ने आगे कहा, हम कनेक्टिविटी के महत्व पर चर्चा कर रहे हैं और उत्तर-दक्षिण और समुद्री कॉरिडोर पर विचार किया गया है। भारतीय रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान जैसे भुगतान मुद्दों पर भी चर्चा हुई है।
मंटुरोव ने अपनी ओर से कहा, भारत से आयात की कमी के कारण, रुपये का उपयोग करना पर्याप्त नहीं है। हमें भारत से व्यापार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इस मामले में हम संतुलन देख रहे हैं, उदाहरण के लिए, हमारा चीन के साथ संतुलन है- हमारा चीन के साथ 200 अरब डॉलर का व्यापार है और यह संतुलित है।
इस बीच, जयशंकर ने अपने संबोधन में आगे कहा कि भारत और रूस के लोगों के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं। आज हमारी साझेदारी पर ध्यान दिया जा रहा है और कमेंट भी हो रहे हैं, इसलिए नहीं कि यह बदल गया है बल्कि इसलिए कि यह नहीं बदला है। हम एक बहुध्रुवीय दुनिया के लिए प्रतिबद्धता साझा करते हैं। रूस एशिया की ओर देख रहा है और भारत के लिए, इसका मतलब संबंधों को व्यापक बनाना हो सकता है।(आईएएनएस)
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