नई दिल्ली/मुंबई। भारत सरकार ने मलेशिया से रिफाइंड पाम तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, हालांकि क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का आयात मलेशिया से जारी रहेगा। रिफाइंड पाम तेल आयात घटने से क्रूड पाम का आयात बढ़ेगा जिससे देसी खाद्य तेल उद्योग को फायदा होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा बुधवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, एग्जिम कोड 15119010 और 15119020 के तहत आने वाले कमोडिटी क्रमश: रिफाइंड ब्लीच्ड ड्येडराइज्ड पाम ऑयल और रिफाइंड ब्लीच्ड ड्येडराइज्ड पामोलीन के आयात को प्रतिबंद्धित श्रेणी में कर दिया गया है।
ऐसा समझा जाता है कि भारत सरकार के इस फैसले से मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच पाम तेल की कीमतों को लेकर जंग छिड़ेगी क्योंकि भारत पाम तेल का एक बड़ा आयातक देश है। लेकिन भारतीय कारोबारी मानते हैं कि मलेशिया से रिफाइंड तेल आयात रुक जाने पर क्रूड पाम का आयात बढ़ेगा जिससे घरेलू उद्योग को काम मिलने के कारण उसे फायदा होगा।
रिफाइंड पाम तेल आयात कम करने और क्रूड का आयात ज्यादा करने के मकसद से ही देसी उद्योग दोनों के आयात शुल्क में कम से कम 15 फीसदी का अंतर रखने की मांग करता रहा है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट अतुल चतुर्वेदी ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।
मलेशिया से रिफाइंड पाम तेल आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने से देसी उद्योग को होने वाले फायदे को लेकर पूछे गए सवाल पर चतुवेर्दी ने आईएएनएस से कहा, अगर रिफाइंड माल कम आएगा तो स्वाभाविक है कि क्रूड पाम तेल का आयात ज्यादा होगा ऐसे में निसंदेह घरेलू उद्योग को फायदा होगा।
चतुर्वेदी ने बताया, जब मलेशिया को पहले पांच फीसदी ड्यूटी का फायदा मिला हुआ था तब वहां से करीब तीन सवाल तीन लाख लाख टन हर महीने पामोलहीन का आयात होने लगा था, लेकिन पांच फीसदी ड्यूटी का फायदा जब समाप्त हुआ और इंडोनेशिया व मलेशिया से आयात पर एक समान शुल्क हो गया तो मलेशिया से पामोलीन का आयात घटकर करीब एक सवा लाख टन रह गया।
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