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भारत ने स्वदेशी अनुसंधान को बढ़ावा दिया, आखिरकार लाभ मिल रहा: मांडविया

India promotes indigenous research, finally reaping benefits: Mandaviya - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली/हैदराबाद | किसी भी समाज के आगे बढ़ने के लिए रिसर्च और इनोवेशन अहम पहलू होते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को कहा कि भारत ने स्वदेशी अनुसंधान को बढ़ावा दिया है और अब इसका लाभ हमें मिल रहा है। मांडविया ने शनिवार को हैदराबाद के जीनोम वैली में आईसीएमआर-एनएआरएफबीआर (नेशनल एनिमल रिसोर्स फैसिलिटी फॉर बायोमेडिकल रिसर्च) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए, स्वास्थ्य मंत्री ने स्वदेशी अनुसंधान और नवाचार के लिए सरकार के जोर पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, कोविड महामारी के दौरान, प्रधान मंत्री ने स्वदेशी टीके बनाने पर जोर दिया। जब दुनिया टीकों की कमी से जूझ रही थी, भारत ने इस चुनौती को स्वीकार किया और हमारे वैज्ञानिक समुदाय ने उन टीकों को बनाकर अपनी क्षमता साबित की। जब विदेशी टीकों के आयात में 5-10 साल लग जाते, तो राजनीतिक नेतृत्व के समर्थन और हितधारकों की लामबंदी के साथ, भारत के वैज्ञानिक समुदाय ने एक साल के समय में इन टीकों का उत्पादन किया।

उन्होंने कहा, आईसीएमआर-एनएआरएफबीआर में भारत को 21वीं सदी में जैव चिकित्सा अनुसंधान में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनाने की क्षमता है। मानव और नैतिक पशु देखभाल और उपयोग के लिए उच्चतम अंतरराष्ट्रीय मानकों के पालन के साथ जैव चिकित्सा अनुसंधान और प्रशिक्षण के समर्थन में गुणवत्ता सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से, यह संसाधन सुविधा राष्ट्र के स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

एनएआरएफबीआर एक शीर्ष सुविधा है जो अनुसंधान के दौरान प्रयोगशाला पशुओं की नैतिक देखभाल और उपयोग और कल्याण प्रदान करेगी। नवनिर्मित केंद्र न केवल नैतिक पशु अध्ययन के लिए अत्याधुनिक सुविधा के रूप में काम करेगा बल्कि बुनियादी से लेकर नियामक पशु अनुसंधान तक लागू होगा। यह नए शोधकर्ताओं की क्षमता निर्माण में मदद करेगा और गुणवत्ता आश्वासन जांच के साथ-साथ देश के भीतर नई दवाओं, टीकों और निदान के पूर्व-नैदानिक परीक्षण के लिए प्रक्रियाएं तैयार करेगा।

भारत की जनशक्ति और मस्तिष्क शक्ति की सराहना करते हुए मांडविया ने कहा कि भारतीय रचनात्मक क्षेत्रों में सबसे आगे रहे हैं, चाहे वह अनुसंधान संस्थान हों, प्रौद्योगिकी हो या फार्मा कंपनियां आदि। दुनिया की फामेर्सी के रूप में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि, दुनिया में बनने वाली हर चार गोलियों में से एक भारत में बनती है। इस प्रकार, अब हम भारत को न केवल दवा निर्माण के लिए बल्कि फार्मा अनुसंधान के लिए भी हब बनाना चाहते हैं। ऐसा होने के लिए, हमें नैदानिक परीक्षणों के लिए मजबूत प्रक्रियाएं बनाने की जरूरत है, जिसके लिए पशु सुविधाओं की आवश्यकता होती है। इसलिए, एनएआरएफबीआर इस ²ष्टि को वास्तविक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।(आईएएनएस)

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