नई दिल्ली। भारत के सबसे भारी प्रक्षेपण यान, जियोसिनक्रोनस सैटेलाइट लांच
व्हिकल-मार्क-3 (जीएसएलवी-एमके-3) के जरिए बुधवार शाम श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष
केंद्र से 3,423 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह जीसैट-29 छोड़ा गया। शाम
करीब 5.08 बजे यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे लांच पैठ
से मेघगर्जन जैसी भारी आवाज के साथ जीएसएलवी-एमके-3 प्रक्षेपण यान ने अपनी
दूसरी उड़ान भरी।
43.4 मीटर लंबा और 640 टन वजनी रॉकेट अपने पीछे नारंगी रंग की आग की लपटें छोड़ता हुआ नील गगन की ओर कूच किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अंतरिक्ष
एजेंसी ने बताया कि इसमें ऑप्टिकल कम्युनिकेशन लिंक के जरिए क्यू/वी-बैंड
पेलोड, डाटा ट्रांसमिशन जैसी कई नई प्रौद्योगिकी प्रदर्शित की होगी। इससे
भविष्य में उन्नत उपग्रह छोड़ने में मदद मिलेगी।
इसरो के चेयरमैन के. सिवान के अनुसार, संचार उपग्रह जीसैट-29 पर एक खास किस्म का उच्च क्वालिटी का कैमरा लगा हुआ है। इसके कैमरे को जियो आई नाम दे दिया गया है। इससे हिंद महासागर में भारत के दुश्मनों और उनके जहाजों पर नजर रख सकेंगे।
साथ ही इस संचार उपग्रह से जम्मू-कश्मीर सहित उत्तर-पूर्वी भारत के इलाकों में इंटरनेट पहुंच जाएगी। अपनी दूसरी उड़ान में जीएसएलवी-एमके 3 रॉकेट जीसैट-29 को भू स्थिर कक्षा में स्थापित होगा। पूर्व में चक्रवात गाजा के चेन्नई और श्रीहरिकोटा के बीच तट पार करने का अनुमान लगाया जा सकें। इसरो ने बताया कि लॉन्च का कार्यक्रम मौसम पर निर्भर है और अनुकूल परिस्थिति नहीं रहने पर इसे टाल जा सकता है।
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