4. विपक्षी दलों ने चौथा आरोप प्रधान न्यायाधीश द्वारा गलत शपथपत्र
देकर जमीन हासिल करने का लगाया है। न्यायाधीश मिश्रा ने वकील रहते हुए गलत
शपथपत्र देकर जमीन हासिल की थी। अतिरिक्त जिलाधिकारी ने 1985 में ही जमीन
का आवंटन रद्द कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय में चुने जाने के बाद
उन्होंने वर्ष 2012 में जमीन वापस की। ये भी पढ़ें - सही समय पर दिखाने से एडी की बढ़ी हड्डी की सर्जरी से बच सकते है
5. विपक्षी दलों का
पांचवां आरोप है कि प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय में कुछ
महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील मामलों को विभिन्न पीठ को आवंटित करने में अपने
पद एवं अधिकारों का दुरुपयोग किया और यह परिणामों को प्रभावित करने के लिए
किया गया।
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