• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

हरदोई से हुई होली की शुरुआत, ककेड़ी गांव का पांच हजार साल पुराना मंदिर आज भी देता है गवाही

Holi started from Hardoi, the five thousand year old temple of Kakedi village still testifies to this - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। होली रंगों और खुशियों का त्यौहार है। यह हर साल पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस रंग-बिरंगे उत्सव की शुरुआत कहां से हुई थी और इसके पीछे का इतिहास क्या है। होली का इतिहास बहुत पुराना है और इसे लेकर पौराणिक कथाएं भी बहुत दिलचस्प हैं। इस त्यौहार की शुरुआत उत्तर प्रदेश के हरदोई शहर से हुई थी। हरदोई के ककेड़ी गांव का 5000 साल से भी पुराना नृसिंह भगवान मंदिर, प्रहलाद घाट, हिरण्यकश्यप के महल का खंडहर, आज भी इसकी गवाही दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का पुराना नाम हरिद्रोही था। यह हिरण्यकश्यप की राजधानी थी। हिरण्यकश्यप एक राक्षस था और वह भगवान विष्णु का कट्टर शत्रु था। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु के खिलाफ कई जुल्म किए थे और भगवान से बदला लेने के लिए उसने कई साज‍िशें रचीं थीं। हिरण्यकश्यप के बेटे प्रहलाद ने भगवान विष्णु की भक्ति में अपना जीवन समर्पित किया, जो उसके पिता को बिल्कुल पसंद नहीं आता था। हिरण्यकश्यप ने कई बार प्रहलाद को मारने की कोशिश की, लेकिन भगवान की कृपा से वह हर बार बच जाता था।

एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से प्रहलाद को मारने के लिए कहा। होलिका को भगवान से यह वरदान प्राप्त था कि जब वह आग में बैठती थी, तो वह जलती नहीं थी। इसलिए होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोदी में लेकर आग में बैठने का प्रयास किया। लेकिन भगवान विष्णु की माया के अनुसार, होलिका जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रहलाद बच गया। यह घटना होली के त्यौहार की उत्पत्ति का कारण बनी। हरदोई के लोग इस घटना के बाद बहुत खुश हुए और उन्होंने एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर खुशी मनाई, तभी से होली का त्योहार मनाने की परंपरा शुरू हुई।

हिरण्यकश्यप ने अपनी राजधानी में राक्षसों का शासन स्थापित किया था, और उसने नगरवासियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे। उसने राक्षसों के नाम से "र" अक्षर के उच्चारण पर भी रोक लगा दी थी। हिरण्यकश्यप के "र" शब्द के उच्चारण पर रोक लगाने का प्रभाव आज भी यहां के लोगों की जुबान पर साफ देखने को मिलता है। यहां के बुजुर्ग आज भी हरदोई को 'हद्दोई', मिर्चा को 'मिच्चा' जैसे शब्दों से उच्चारित करते हैं। कहा जाता है यह हिरण्यकश्यप के "र" शब्द उच्चारण पर लगा प्रभाव ही है। जिसका प्रभाव आज तक बना हुआ है।

इसी कारण हरदोई का नाम पहले हरिद्रोही रखा गया था। धीरे-धीरे समय के साथ हरिद्रोही नाम बदलकर हरदोई हो गया। इस स्थान पर आज भी हिरण्यकश्यप के महल के खंडहर और प्रहलाद घाट मौजूद हैं, जो इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी हैं।

होली की शुरुआत हरदोई से होने की बात धार्मिक ग्रंथों और हरदोई गजेटियर में भी उल्लेखित है। हरदोई में भगवान विष्णु ने दो बार अवतार लिया था - पहला अवतार नरसिंह रूप में और दूसरा अवतार वामन रूप में। नरसिंह रूप में भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध किया था और उसके बाद इस स्थान पर प्रहलाद की रक्षा की थी। इस घटना को याद करते हुए हरदोई में हर साल होली मनाई जाती है।

हरदोई के सांडी ब्लाक के ककेड़ी गांव में इस ऐतिहासिकता का प्रतीक नृसिंह भगवान का मंदिर इस बात का प्रतीक बना हजारों साल से आज भी गवाही दे रहा है। स्थानीय लोगों और इतिहासकारों की मानें तो यह मंदिर 5000 साल से भी ज्यादा पुराना है। ककेड़ी गांव के इस मंदिर में भगवान नृसिंह की मूर्ति है। इसकी गवाही इसकी तमाम मूर्तियां और उनके कार्बन की उम्र देती है। हालांकि ककेड़ी गांव के मंदिर का समय-समय पर जीर्णोद्धार होता रहा है। इस गांव के लोग इसी ककेड़ी गांव के नृसिंह भगवान के मंदिर जाकर रंग लगाकर होली की शुरुआत करते हैं।

पौराणिक कथाओं में यह भी बताया गया है कि भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद का जीवन बहुत कठिनाइयों से भरा हुआ था। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को कई बार मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार भगवान की कृपा से प्रहलाद बच जाता था। होलिका के आग में जलकर मरने के बाद, भक्त प्रहलाद ने अपनी निष्ठा और भगवान के प्रति अपनी भक्ति को बनाए रखा, और इस तरह से होली का पर्व एक नई धारा के रूप में शुरू हुआ।
--आईएएनएस

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-Holi started from Hardoi, the five thousand year old temple of Kakedi village still testifies to this
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: new delhi, holi, uttar pradesh, hardoi, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, delhi news, delhi news in hindi, real time delhi city news, real time news, delhi news khas khabar, delhi news in hindi
Khaskhabar.com Facebook Page:

अजब - गजब

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

Copyright © 2025 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved