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सुप्रीम कोर्ट में बिहार SIR मामले की सुनवाई : 3.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाने पर सख्त सवाल

Hearing in the Bihar SIR case in the Supreme Court: Tough questions raised over the removal of 3.66 lakh voters names - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बिहार के एसआईआर मामले की सुनवाई सोमवार को शुरू हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि फाइनल वोटर लिस्ट आने के बाद उन्हें मामले की गंभीरता का पता चला है। प्रशांत भूषण ने कहा कि एसआईआर के लिए 2003 और 2016 में कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश मौजूद हैं, जिनमें फर्जी मतदाताओं को हटाने के नियम स्पष्ट किए गए थे। लेकिन आयोग ने समस्याओं को सुलझाने के बजाय और जटिलता बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता का बिल्कुल अभाव है। 65 लाख से अधिक मतदाताओं को हटाने की जानकारी कोर्ट के आदेश के बाद ही उपलब्ध कराई गई। आयोग ने जरूरी दिशा-निर्देशों के अनुसार जानकारी सार्वजनिक नहीं की। वहीं, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि जिन 3.66 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं, उनमें से किसी को भी इस बारे में नोटिस तक नहीं दिया गया। न तो किसी को हटाए जाने का कोई कारण बताया गया और न ही उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि भले ही अपील का प्रावधान हो, लेकिन जानकारी ही नहीं होने की वजह से अपील करना संभव नहीं है।
चुनाव आयोग की ओर से वकील राकेश द्विवेदी ने इस बात का खंडन करते हुए कहा कि हटाए गए सभी मतदाताओं को सूचित किया गया है। उन्होंने बताया कि ड्राफ्ट सूची और फाइनल सूची दोनों की प्रतियां सभी राजनीतिक दलों को भी उपलब्ध कराई गई हैं।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "अगर आप हमें उन 3.66 लाख मतदाताओं की सूची दें, जिन्हें हटाए जाने के बारे में सूचना नहीं दी गई है, तो हम उन्हें सूचित करने का निर्देश देंगे। हर व्यक्ति को अपील का अधिकार मिलना चाहिए।"
कोर्ट ने चुनाव आयोग पक्ष के वकील से पूछा कि कितनी शिकायतें या आपत्तियां उन्हें मिली हैं और इन पर क्या कार्रवाई की गई है। राकेश द्विवेदी ने जवाब दिया कि ड्राफ्ट सूची में नाम होने और फाइनल सूची से नाम कटने की कोई शिकायत नहीं आई है। उन्होंने कहा कि आपत्तियों, दावों और नए वोटरों के नाम शामिल करने के लिए समय-समय पर कार्रवाई की जा रही है।
सुनवाई में ये मुद्दे उठाए गए कि मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है और लोगों को उनके अधिकारों की जानकारी नहीं दी गई। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए कि वह पूरी जानकारी उपलब्ध कराए और हटाए गए मतदाताओं को उचित नोटिस दे।
सुनवाई जारी है और कोर्ट जल्द ही इस मामले में अगला आदेश दे सकती है।
--आईएएनएस

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Web Title-Hearing in the Bihar SIR case in the Supreme Court: Tough questions raised over the removal of 3.66 lakh voters names
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