नई दिल्ली। चने का भाव नहीं मिलने और मौसम की अनिश्चितता के कारण इस साल किसान चने के बदले गेहूं की बुवाई में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं, यही कारण है कि चने का रकबा पिछले साल के मुकाबले करीब 22 फीसदी घट गया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से पिछले सप्ताह जारी रबी फसलों की बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में चने की बुवाई अब तक 48.35 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक देश में चने का रकबा 61.91 लाख हेक्टेयर था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस प्रकार पिछले साल के मुकाबले इस साल चने का रकबा 21.90 फीसदी पिछड़ा हुआ है। हालांकि गेहूं का रकबा भी अब तक सिर्फ 96.77 लाख हेक्टेयर हुआ है जोकि पिछले साल से 2.87 लाख हेक्टेयर कम है, लेकिन कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल अच्छी बारिश होने से देशभर में जलाशयों में काफी पानी है इसलिए गेहूं का रकबा बढ़ सकता है क्योंकि सिंचाई के लिए किसानों को पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
रबी सीजन की सबसे प्रमुख फसल गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले अभी तक कम है, लेकिन आने वाले दिनों बढ़ सकता है, क्योंकि चने की जगह गेहूं की बुवाई में किसान इस साल ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। राजस्थान के बूंदी के जींस कारोबारी उत्तम जेठवानी ने बताया कि बारिश की वजह से चने की बुवाई में विलंब हो गया है और किसानों को इस साल चने का अच्छा भाव भी नहीं मिल पाया है, यही कारण है कि वे चने की जगह गेहूं की बुवाई करने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि इस साल गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले बढ़ सकता है। कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि देश में गेहूं और धान की सरकारी खरीद होने से किसानों को इन दोनों फसलों का उचित भाव मिल जाता है, लेकिन चना या दूसरी दलहनों व तिलहनों व अन्य फसलों की सरकारी खरीद व्यापक पैमाने पर नहीं होती है, यही कारण है कि किसान गेहूं और धान की खेती में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं।
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