उल्लेख है कि आपसी मर्जी से शादी-शुदा पुरुष महिला के बीच शारीरिक सम्बंध बन जाते हैं। उनको अपराध की श्रेणी में रखने वाली इस धारा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, इस पर सुनवाई चल रही है और केंद्र सरकार ने याचिका के खिलाफ जाकर मौजूदा धारा का समर्थन किया है। ये भी पढ़ें - यहां पेड़ों की रक्षा को 363 लोगों ने दिया था बलिदान
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वैवाहिक पवित्रता एक मुद्दा है लेकिन व्यभिचार पर दंडात्मक प्रावधान संविधान के तहत समानता के अधिकार का प्रत्यक्ष रूप से हनन है क्योंकि यह विवाहित पुरूष और विवाहित महिलाओं से अलग-अलग व्यवहार करना चाहिए।
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