नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारत सरकार की नीति सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज (सीआईआईएल), मैसूर अनुसूचित, गैर-अनुसूचित और शास्त्रीय भाषाओं सहित सभी भारतीय भाषाओं के प्रचार के लिए काम करता है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिंदी, उर्दू, सिंधी और संस्कृत भाषाओं के विकास और प्रचार के लिए अलग-अलग संगठन हैं। संस्कृत भाषा को तीन केंद्रीय विश्वविद्यालयों, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति के माध्यम से बढ़ावा दिया जाता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एक लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में कहा कि हिंदी का प्रचार केंद्रीय हिंदी संस्थान (केएचएस) आगरा, केंद्रीय हिंदी निदेशालय (सीएचडी), नई दिल्ली और वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (सीएसटीटी), नई दिल्ली द्वारा किया जाता है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अन्य भाषाओं पर भी इस प्रकार की जानकारी साझा की है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिंधी को नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ सिंधी लैंग्वेज (एनसीपीएसएल), नई दिल्ली के माध्यम से और उर्दू को नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज (एनसीपीयूएल), नई दिल्ली के माध्यम से बढ़ावा दिया जाता है।
शिक्षा मंत्री के मुताबिक सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के अलावा, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज (सीआईआईएल), मैसूर चार शास्त्रीय भाषाओं कन्नड़, तेलुगु, मलयालम और ओडिया के प्रचार के लिए भी काम करता है।
इसी प्रकार शास्त्रीय तमिल का विकास और प्रचार केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (सीआईसीटी), चेन्नई द्वारा किया जा रहा है। सीआईआईएल, भाषाओं के विकास और प्रचार के लिए अपनी विभिन्न योजनाओं जैसे राष्ट्रीय अनुवाद मिशन, भारतीय भाषाओं के भाषाई डेटा कंसोर्टियम, भारतवाणी, आदि के माध्यम से भाषाओं के विकास के लिए विश्वविद्यालयों, संस्थानों, राज्य सरकारों आदि सहित विभिन्न हितधारकों के साथ काम करता है और सहयोग करता है।
--आईएएनएस
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