नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था इस समय संक्रमण काल से गुजर रही है। इस समस्या से हर कोई परेशान है। जहां उद्योग धंधों की रफ्तार मंद पड़ी हुई है, वहीं युवाओं पर बेरोजगारी की मार पड़ रही है। सरकार हालात में सुधार के लिए प्रयासरत है। विपक्ष लगातार निशाना साधने में लगा हुआ है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि देश मंदी के दौर से गुजर रहा है और अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं। राजन ने इसका मुख्य कारण अर्थव्यवस्था का संचालन प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से होना और मंत्रियों के पास कोई पावर नहीं होना बताया।
राजन ने एक मैगजीन में लिखे आर्टिकल में अर्थव्यवस्था को मुसीबत से निकालने के लिए उपायों की चर्चा करते हुए पूंजी लाने के नियमों को उदार बनाने, भूमि व श्रम बाजारों में सुधार तथा निवेश एवं ग्रोथ को बढ़ावा देने की अपील की। राजन ने सरकार से कंपीटिशन को बढ़ावा देने तथा घरेलू क्षमता में सुधार लाने के लिए विवेकपूर्ण ढंग से मुक्त व्यापार समझौते में शामिल होने की अपील की।
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