आयोग की रिपोर्ट वित्त मंत्रालय के पास जाती है और उसके बाद इसे मंत्रिमंडल
को भेजा जाता है। ऐसे में मौजूदा सरकार को देखना चाहिए कि वह राज्यों के
आयोगों पर एकपक्षीय तरीके से अपना नजरिया थोपने की जगह संसद का जो भी आदेश
हो उसका पालन करे।
मैं सभी प्राधिकरणों (ट्रिब्यूनल्स) से सम्मान के साथ यह
आग्रह करता हूं कि वे अभी भी इस बारे में किसी विवाद की स्थिति में
मुख्यमंत्रियों के सुझावों पर गौर करें। सहकारी संघवाद में परस्पर समझौते
की आवश्यकता होती है। केंद्र सरकार राज्यों की बात सुने और उन्हें साथ-साथ
लेकर चले।
उल्लेखनीय है कि प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी एन. के.
सिंह की अध्यक्षता में 15वें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर 2017 को किया गया
था। इसे 30 अक्टूबर तक अपनी सिफारिशें देनी हैं। अब समयसीमा बढ़ाकर 30
नवंबर कर दी गई है।
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