नई दिल्ली। देश के पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने मंगलवार को राफेल मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल उठाया कि 136 राफेल खरीदने का प्रस्ताव था तो इसे घटाकर 36 क्यों किया गया?। एंटनी ने बताया कि हमारी सरकार के अंतिम दिनों में राफेल करार लगभग पूरा हो गया था। 2015 में जब एनडीए की सरकार आई, तो 10 अप्रेल 2015 को 36 राफेल विमान खरीदने का एकतरफा निर्णय लिया, जब एयरफोर्स ने 126 विमान मांगे थे, तो प्रधानमंत्री ने इसे घटाकर 36 क्यों किए। इसका जवाब केन्द्र सरकार को देना चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एंटनी ने केंद्र सरकार से पूछा कि अगर यूपीए की डील खत्म नहीं की जाती तो हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) को अति आधुनिक तकनीक ट्रांसफर पाने का मौका मिलता लेकिन अब उसे लड़ाकू विमान बनाने का अनुभव नहीं मिल पाएगा। भारत ने यह बहुत बड़ा मौका गंवा दिया है। एंटनी ने बताया कि कानून मंत्री ने दावा किया कि नए समझौते में, विमान यूपीए सौदे से 9 प्रतिशत सस्ता है। वित्त मंत्री ने बताया कि 20 प्रतिशत सस्ता है, भारतीय वायुसेना के अधिकारी ने बताया कि यह 40 प्रतिशत सस्ता है। हमारा मानना है कि अगर यह सस्ता है तो फिर उन्होंने 126 से अधिक विमान क्यों नहीं खरीदे? देश के पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी मांग पहले दिन से स्पष्ट है कि संयुक्त संसदीय समिति इस मामले की जांच करे। सीवीसी का संवैधानिक दायित्व है कि वे पूरे मामले के कागजात मंगवाएं और जांच कर पूरे मामले की जानकारी संसद के सामने रखें।
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