नई दिल्ली। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की विशाल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति(एनपीए) या खराब ऋण के संकट के समाधान के लिए आधारभूत सुधार की जरूरत है, जिसमें निजी भागीदारी को अनुमति देने की दरकार है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सुब्रह्मण्यम ने अपनी नई किताब 'ऑफ कांसल : द चैलेंजेज ऑफ मोदी-जेटली इकोनॉमी' में एनपीए की समस्या के समाधान में सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बीच बड़ी संविदा की विवेचना की है। बैंकों का एनपीए बढ़कर 13 लाख करोड़ रुपये हो जाने से तरलता का संकट पैदा होने से केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच मतभेद पैदा हुआ।
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