नई दिल्ली। दिल्ली के करीब एक दर्जन कॉलेज ऐसे हैं, जहां शिक्षकों एवं गैर शिक्षक कर्मचारियों के सामने वेतन का संकट उत्पन्न हो गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले ये सभी कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। शिक्षक संगठन अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से इन 12 कॉलेजों की ग्रांट तुरंत रिलीज करने की मांग कर रहे हैं। शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के मुताबिक, 12 कॉलेजों की ग्रांट रिलीज न होने से इससे न केवल वेतन भुगतान प्रभावित हुआ है, बल्कि चिकित्सा बिल, सेवानिवृत्ति लाभ और अन्य विकास व्यय भी लंबित हैं।
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दिल्ली सरकार से मांग की गई है कि शिक्षकों की पदोन्नति का एरियर भी उन्हें जल्द जारी किया जाए। शिक्षकों का यह भी कहना है कि 20 जुलाई से दिल्ली विश्वविद्यालय का नया शैक्षिक सत्र शुरू हो रहा है। उसके बाद एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिसमें छात्रों के प्रवेश, ओबीसी कोटे के अंतर्गत सेकेंड ट्रांच की शिक्षकों की नियुक्तियां, गैर शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्ति के अलावा परीक्षा और उसका मूल्यांकन आदि में ग्रांट की जरूरत पड़ेगी।
डीटीए ने मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से फिर आग्रह किया है कि दिल्ली सरकार द्वारा 12 पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों को धनराशि जारी करने में बिना किसी और देरी के मदद करें, ताकि इस अत्यंत कठिन और तनावपूर्ण समय में शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन और अन्य बकाया का भुगतान किया जा सके।
डीटीए के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से दिल्ली सरकार से सम्बद्ध पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों की ग्रांट तुरंत रिलीज करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि कुछ कॉलेजों के शिक्षकों को पिछले दो महीने से सैलरी न मिलने से स्थायी, तदर्थ, अतिथि शिक्षकों व संविदा पर काम कर रहे कर्मचारी भयावह आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। कॉलेजों की ग्रांट रिलीज कराने की मांग को लेकर डीटीए का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से मिलेगा।
हालांकि इससे पहले वे डीयू के कुलपति से भी मिले थे। उन्होंने भी आश्वासन दिया था कि इस संदर्भ में वे दिल्ली सरकार से बातचीत कर समाधान निकालेंगे।
दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों के शिक्षकों के एक प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि उनके यहां सैकड़ों शैक्षिक और गैर शैक्षिक कर्मचारी समय पर वेतन न मिलने से आर्थिक संकट से जूझ रहे है हैं। कुछ कॉलेजों को तो दो महीने से वेतन नहीं मिला है। उन्होंने यह भी बताया है कि शिक्षकों की पदोन्नति हुए महीनों बीत चुके हैं, लेकिन उन्हें एरियर का भुगतान आज तक नहीं हुआ। इसी तरह से उनके मेडिकल बिल भी किलयर नहीं हुए।
शिक्षकों ने बताया कि उनके कॉलेजों में बहुत से अतिथि, एडहॉक और कंट्रैक्चुअल कर्मचारियों को हर महीने मकान का किराया, ईएमआई, मकान की किस्त, गाड़ी की किस्त, बच्चों की फीस आदि भरनी पड़ती है, वे ब्याज पर पैसे लेकर किस्त भर रहे हैं।
--आईएएनएस
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