नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री और राजस्थान के बीकानेर से लोक सभा सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने अशोक गहलोत सरकार को हर मोर्चे पर विफल करार देते हुए आरोप लगाया है कि यह सरकार दो खेमों में बंटी हुई है और राज्य में कोई काम नहीं हो रहा है। अशोक गहलोत सरकार के कामकाज, उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के मुद्दों और अखिलेश यादव के आरोपों सहित अन्य कई मुद्दों पर आईएएनएस के वरिष्ठ सहायक संपादक संतोष कुमार पाठक ने केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के सह चुनाव प्रभारी अर्जुन राम मेघवाल से खास बातचीत की। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सवाल - आप उत्तर प्रदेश के सह चुनाव प्रभारी के तौर पर लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं, बैठकें कर रहे हैं और रैलियों में भी शामिल हो रहे हैं। प्रदेश के चुनावी परि²श्य को लेकर आपका क्या आकलन है ?
जवाब - प्रदेश में कानून व्यवस्था तेजी से सुधरी है। प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी की जनकल्याणकारी नीतियां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन के कारण धरातल पर उतरी है और इसके कारण पूरा वातावरण भाजपा के पक्ष में है।
सवाल - लेकिन अखिलेश यादव तो प्रदेश में अपराध बढ़ने का दावा करते हुए भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं ?
जवाब - अखिलेश यादव के जमाने में जो गुंडाराज था, उसकी कमर टूटी है। इसलिए वो परेशान हैं और ऐसा बोल रहे हैं। काशी में जो विकास हुआ , वो हुआ तो उत्तर प्रदेश में ही है। यूपी के नागरिक होने के नाते , पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हे इन कामों की तारीफ करनी चाहिए लेकिन उन्होने ऐसा करने की बजाय प्रधानमंत्री के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया। साफ जाहिर है कि अखिलेश कुछ भी कह सकते हैं इसलिए उनके बारे में क्या टिप्पणीं करूं।
सवाल - आप कानून-व्यवस्था और सुशासन पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं तो फिर ये जिन्ना , मंदिर और हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बार-बार क्यों उठ कर सामने आ जाता है ?
जवाब - जिन्ना का मुद्दा तो अखिलेश ही लेकर आए हैं, हम नहीं। हम तो विकास और सुशासन के मुद्दें पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होने ही जिन्ना की तुलना सरदार पटेल से करके यह विवाद खड़ा कर दिया। जब वो ऐसा मुद्दा उठाएंगे तो स्वाभाविक रूप से प्रतिक्रिया भी आएगी ही। एक बात बिल्कुल साफ है कि कोई भी समाज , यहां तक कि उत्तर प्रदेश का यादव समाज भी यह स्वीकार नहीं करेगा कि जिन्ना , सरदार पटेल की तरह महान थे लेकिन भारत विभाजन के प्रतीक जिन्ना , अखिलेश के लिए महान है।
सवाल - आपने कहा कि यादव समाज भी इसे स्वीकार नहीं करेगा तो फिर अखिलेश यादव ने ऐसा बयान क्यों दिया ?
जवाब - देखिए , अखिलेश चूंकि स्वयं यादव हैं तो उन्हे लगता है कि यादव उन्हे ही वोट करेगा लेकिन मुस्लिम वोटों को लेकर वो डरे हुए हैं। उन्हे यह डर सता रहा है कि मुसलमान कहीं ओवैसी या मायावती के साथ न चला जाए इसलिए वो जिन्ना का राग अलाप कर मुस्लिम वोटरों को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं।
सवाल - लेकिन अखिलेश यादव तो जातीय समीकरण को साधते हुए छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर आपको घेरने की कोशिश कर रहे हैं। जयंत चौधरी को साथ लेकर जाटों को साध रहे हैं तो वहीं ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के साथ गठबंधन कर पूर्वांचल में भी संदेश दे रहे हैं। इसी तरह से उन्होने अन्य कई छोटे-छोटे दलों को भी आपके खिलाफ अपने साथ जोड़ लिया है।
जवाब - देखिए , ये नेता ही जा रहे हैं अखिलेश यादव के साथ , उनका समाज नहीं जा रहा है। मैं आपको धरातल की बात बता रहा हूं । बहुत से ऐसे समाज हैं जो यह कह रहे हैं कि वो कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले के साथ कैसे जाएंगे ? कई समाज का यह मानना है कि गुंडागर्दी के जरिए उन पर जुल्म करने वाले लोगों का साथ देने वालों को वो कैसे वोट करेंगे ? इसलिए नेता भले ही अखिलेश के साथ चला जाएं लेकिन उनका समाज सपा के साथ खड़ा नहीं होगा। लोगों को मोदी सरकार की नीतियों पर और योगी सरकार के कामकाज पर पूरा भरोसा हैं और ये पूरी तरह से भाजपा के साथ खड़े हैं।
सवाल - आपको ब्रज क्षेत्र का प्रभार दिया गया है जो किसानों का इलाका माना जाता है। यहां के किसानों का भाजपा को लेकर क्या रवैया है ?
जवाब - योगी सरकार ने गन्ने के दाम बढ़ाए, बंद पड़ी चीनी मिलों को चालू किया। ये सारे कार्य किसानों पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। मोदी की नीतियों और योगी के कामकाज से यहां का किसान खुश है और भाजपा के साथ है।
सवाल - मतलब , आप यह दावा कर रहे हैं कि किसानों में कहीं कोई नाराजगी नहीं है ?
जवाब - बिल्कुल , कहीं कोई नाराजगी नहीं है।
सवाल - आपकी विरोधी कांग्रेस तो प्रदेश की लगभग आधी आबादी ( महिलाओं ) को लुभाने की बात कर रही हैं। 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' अभियान चला रही हैं , 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने की बात कर रही हैं।
जवाब - राजस्थान में तो कांग्रेस की ही सरकार है। वहां 40 प्रतिशत मंत्री क्यों नहीं बनाए। जहां सरकार है वहां 40 प्रतिशत की बात नहीं करेंगे, लेकिन जहां वो चौथे-पांचवे नंबर की पार्टी वहां 40 प्रतिशत की बात करेंगे। जनता सब समझती है।
सवाल - आपने राजस्थान की कांग्रेस सरकार का जिक्र किया। राजस्थान आपका गृह राज्य भी है जहां से आप लोक सभा का चुनाव जीतकर आए हैं। आप लोगों ( भाजपा ) की तमाम आलोचनाओं के बावजूद कांग्रेस गहलोत सरकार के कामकाज को एक उदाहरण के रूप में पेश करती है और पिछले महीने आपकी केंद्र सरकार के खिलाफ रैली करने के लिए भी राहुल गांधी ने राजस्थान को ही चुना था।
जवाब - राजस्थान में रैली तो कांग्रेस ने इसलिए की क्योंकि दिल्ली में भीड़ जमा नहीं हो पा रही थी। राजस्थान में उन्होने सरकार के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और मनरेगा मजदूरों को लाकर रैली में भीड़ को इकट्ठा किया था। कांग्रेस ने रैली तो मंहगाई को लेकर बुलाई थी लेकिन उसमें भी राहुल गांधी ने हिंदू और हिंदुत्व पर ही भाषण दिया। जहां तक राजस्थान की गहलोत सरकार का सवाल है। दो खेमों में बंटी हुई गहलोत सरकार हर मोर्चे पर विफल है। नया मंत्रिमंडल बनने के बाद भी मंत्री अलग-अलग भाषा बोल रहे हैं और काफी प्रयासों के बावजूद भी खेमेबाजी दूर नहीं हुई है। इस तरह से जब सरकार दो खेमों में बंट जाती है तो शासन गायब हो जाता है। सुशासन , कुशासन में बदल जाता है , विकास के काम रूक जाते हैं और यही राजस्थान में हो रहा है।
--आईएएनएस
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