उप राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने शिक्षा को हमेशा एक मिशन माना
है, जिसके तहत शुद्ध भावना के साथ काम करना जरूरी है। उन्होंने प्रत्येक
क्षेत्र और प्रत्येक विषय के मेधावियों को सलाह दी कि वे शिक्षा के क्षेत्र
में आएं, ताकि विद्यार्थियों के साथ अपने अनुभवों को साझा कर सकें।
नायडू
ने कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं है, बल्कि ज्ञान,
शक्ति और मेधा को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा तभी सार्थक है जब
उससे व्यक्ति अपना सर्वश्रेष्ठ काम करे और लोगों के प्रति उसमें उदारता
पैदा हो। इस समय आवश्यक है कि मूल्य आधारित शिक्षा दी जाए।
भारत के
आदर्श 'सर्व धर्म समभाव' का उल्लेख करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि
धर्मनिरपेक्षता हमारे राष्ट्र का एक बुनियादी सिद्धांत है और यह प्रत्येक
भारतीय में निहित है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व के सबसे अधिक जीवंत,
विविध और सहिष्णु देशों में शामिल है।
हाल में घोषित पद्म
पुरस्कारों के विजेताओं को बधाई देते हुए उप राष्ट्रपति ने कई गुमनाम
हस्तियों को सम्मानित करने के लिए सरकार की सराहना की।
--आईएएनएस
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