नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को कहा कि इराक के मोसुल में 2014 में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा अगवा किए गए 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है। विदेश मंत्री ने राज्यसभा में इस बात की पुष्टि की और कहा कि मृतकों के अवशेष विदेश राज्य मंत्री वी.के. सिंह भारत वापस लाएंगे। सुषमा ने कहा, जनरल वी. के. सिंह इराक जाकर भारतीयों के अवशेष वापस लाएंगे। अवशेष लाने वाला विमान पहले अमृतसर पहुंचेगा, फिर पटना और उसके बाद कोलकाता जाएगा। सुषमा स्वराज ने हरजीत मासी के दावों को भी खारिज कर दिया, जो मोसुल से बच निकलने में सफल रहने वालों में से एक है। उन्होंने कहा, वह मुझे बताने का इच्छुक नहीं था कि वह कैसे बच निकला। सुषमा ने कहा कि उनके पास ठोस सबूत है कि वह झूठ बोल रहा है। उन्होंने कहा कि मासी फर्जी नाम अली बताकर एक कैटरर की मदद से बांग्लादेशियों के साथ बच निकला। सुषमा ने कहा कि इसका खुलासा मासी के नियोक्ता और मददगार कैटरर ने किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सुषमा स्वराज ने बताया कि हरजीत मसीह ने अपना नाम बदलकर अली कर लिया और वह बांग्लादेशियों के साथ इराक के इरबिल पहुंचा, जहां से उसने सुषमा स्वराज को फोन किया था। स्वराज ने कहा कि आईएस के आतंकियों ने एक कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीयों को एक टेक्सटाइल कंपनी में भिजवाने को कहा था। उनके साथ कुछ बांग्लादेशी युवा भी थे। यहां पर उन्होंने बांग्लादेशियों और भारतीयों को अलग-अलग रखने को कहा। लेकिन हरजीत मसीह ने अपने मालिक के संग जुगाड़ करके अपना नाम अली किया और बांग्लादेशियों वाले समूह में शामिल हो गया। यहां से वह इरबिल पहुंच गया।
सुषमा ने आगे बताया, हरजीत की कहानी इसलिए भी झूठी लगती है क्योंकि जब उसने फोन किया तो मैंने पूछा कि आप वहां (इरबिल) कैसे पहुंचे? तो उसने कहा मुझे कुछ नहीं पता। सुषमा ने आगे कहा, मैंने उनसे पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि आपको कुछ भी नहीं पता? तो उसने बस यह कहा कि मुझे कुछ नहीं पता, बस आप मुझे यहां से निकाल लो। मसीह ने बताया था कि किस तरह आईएस के आतंकी 50 बांग्लादेशियों और 40 भारतीयों को उनकी कंपनी से बसों में भरकर किसी पहाड़ी पर ले गए थे। उसके मुताबिक, आईएस के आतंकी हमें किसी पहाड़ी पर ले गए और हम सभी को किसी दूसरे ग्रुप के हवाले कर दिया। आतंकियों ने दो दिन तक हम सभी को अपने कब्जे में रखा। मसीह ने बताया, एक रोज हम सभी को कतार में खड़ा होने को कहा गया और सभी से मोबाइल और पैसे ले लिए गए। इसके बाद, उन्होंने दो-तीन मिनट तक गोलियां बरसाईं। मैं बीच में खड़ा था, मेरे पैर पर गोली लगी और मैं नीचे गिर गया और वहीं चुपचाप लेटा रहा। बाकी सभी लोग मारे गए। मसीह ने बताया कि वह किसी तरह वहां से भागकर वापस कंपनी पहुंचा और फिर भारत भाग आया।
मरने वालों में 31 लोग पंजाब के
सुषमा ने बताया भारतीयों के शवों को कब्रों से निकाला गया और डीएनए जांच के जरिए पहचान की पुष्टि हो सकी है। उन्होंने कहा, शवों को डीएनए जांच के लिए बगदाद भेजा गया था। 38 भारतीयों के डीएनए का मिलान हो गया है। विदेश मंत्री ने कहा, शवों के शिनाख्त के लिए, मृतकों के रिश्तेदारों के डीएनए नमूने वहां भेजे गए। इस प्रक्रिया में चार राज्यों -पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार- की सरकारें शामिल हुईं। मृतकों में 31 पंजाब के, चार हिमाचल प्रदेश और दो-दो बिहार और बंगाल के हैं। ये सभी मजदूर थे और इन्हें मोसुल में इराक की कंपनी ने नियुक्त किया था। साल 2014 में जब आईएस ने इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल को अपने कब्जे में लिया था, तब इन भारतीयों को बंधक बना लिया गया था। जुलाई 2017 में सुषमा ने कहा था कि वह ठोस सबूत के बिना 39 भारतीयों को मृत घोषित नहीं करेंगी।
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