नई दिल्ली। "भारत में ज्यादातर वकील मानते हैं कि बस वे ही कानून, जज और अदालत हैं। अधिकांश वकील सोचते हैं कि मानो कानून वकीलों से चलता है, न कि जज-अदालत और संविधान से। जहां तक बात दिल्ली की तीस हजारी अदालत में अक्सर होने वाले बे-वजह के बबालों की है, तो शनिवार की घटना के बारे में सुनकर 17 फरवरी, 1988 का लाठीचार्ज याद आ गया। इसी तीस हजारी अदालत में तत्कालीन दबंग आईपीएस किरण बेदी द्वारा बेकाबू वकीलों को 'कंट्रोल' करने के लिए लाठीचार्ज कराया गया था। उस बार भी वकीलों ने खुद को दमखम वाला साबित करने के लिए अदालतों में ताले डलवा दिए। मगर मेरी अदालत चलती रही और मैं फैसले सुनाता रहा।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु को फांसी की सजा मुकर्रर कर चुके दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस.एन. ढींगरा ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में यह सनसनीखेज खुलासा किया। पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति शिव नरायन ढींगरा शनिवार दोपहर दिल्ली के उत्तरी जिले में स्थित तीस हजारी अदालत परिसर में वकील और पुलिस के बीच हुई खूनी झड़प पर बात कर रहे थे।
17 फरवरी, 1988 को जब दिल्ली की तीस हजारी अदालत में तत्कालीन आईपीएस और उत्तरी दिल्ली जिले की तत्कालीन पुलिस उपायुक्त किरण बेदी ने वकीलों को काबू करने के लिए लाठीचार्ज करवाया था, उन दिनों एस.एन. ढींगरा तीस हजारी अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश थे।
गिरफ्तारी पर केजरीवाल बोले: यह एक राजनीतिक साजिश,जनता इसका जवाब देंगी
हरियाणा की पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा
पंजाब सीएम भगवंत मान के घर आई लक्ष्मी, पत्नी गुरप्रीत ने बेटी को दिया जन्म
Daily Horoscope