नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए विशेषज्ञों और हितधारकों ने रविवार को पर्यावरण कानूनों को सख्ती से लागू करने पर जोर दिया। विशेषज्ञों ने कहा कि जन-स्वास्थ्य की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास मजबूत विधिक व सांस्थानिक और प्रौद्योगिकी क्षमता होनी चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जिंदल स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिस द्वारा आयोजित परिचर्चा के दौरान विशेषज्ञों और सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने ईंधन स्थानापन्न नीति, त्वरित बीएस-6 मानकों को अपनाने, देशभर में ई-वाहनों के लिए इलेक्ट्रिक चार्जिंग केंद्र, विनियामक निष्पादन सूचकांक की व्यवस्था करने के सुझाव दिए। उन्होंने वायु-प्रदूषण को रोकने के लिए प्राधिकरणों को उत्तरदायी बनाने, जागरूकता फैलाने और हरित कोष बनाने समेत अन्य उपाय अपनाने को कहा।
दिल्ली के मुख्य सचिव विजय कुमार देव ने सरकार और नागरिकों द्वारा संयुक्त प्रयास करने और विभिन्न एजेंसियों के साथ साथ समन्वय स्थापित करने पर बल दिया।
उन्होंने दो रणनीतियों का सुझाव दिया जिनमें नीति निर्माण से लेकर उसे लागू करने के स्तर तक विभिन्न हितधारकों द्वारा किए गए प्रयासों के साथ-साथ प्रदूषण रोकथाम के लिए क्षेत्र स्तर के कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करना शामिल है।
पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण के अध्यक्ष भूरे लाल ने प्रदूषण के सामाजिक व आर्थिक आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषण स्तर में सख्ती से काफी कमी लाने की जरूरत है।’’
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