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ईडी ने अपने अधिकारियों से कहा, 'कॉपी पेस्ट' बंद कर मौलिक जांच करें

ED tells its officials to stop copy paste and conduct original investigation - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। भारत की संघीय वित्तीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने जांचकर्ताओं के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें उन्हें जांच के दौरान अन्य जांच एजेंसियों पर निर्भरता के बदले खुद वास्तविक (ओरिजनल) सामग्री का प्रयोग करने के लिए कहा गया है। एजेंसी के सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

जांच एजेंसी ने यह आदेश देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड धनशोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) मामले के संदर्भ में दिया है जिसमें ट्रिब्यूनल ने एजेंसी के कामचलाऊ काम करने के तरीके खासकर दूसरी संघीय एजेंसी के तथ्यों को कॉपी-पेस्ट करने को लेकर खिंचाई की थी।

ट्रिब्यूनल के समक्ष यह मामला 11 सितंबर 2019 को आया था, जिसमें प्राधिकरण ने पाया कि मामले में वास्तविक जांच के स्थान पर कॉपी-पेस्ट किया गया है।

ट्रिब्यूनल ने एजेंसी को किसी भी मामले की जांच के दौरान 'अपने स्वतंत्र दिमाग' का प्रयोग करने के लिए कहा था।

एजेंसी की खराब कोशिश से गुस्साये अपीलीय ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह और सदस्य जी.सी. मिश्रा ने एडजुडिकेटिंग ऑथोरिटी द्वारा ईडी को देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड की संपत्ति जब्त करने की इजाजत देने के आदेश को खारिज कर दिया था।

संपत्ति जब्त करने का काम बेंगलुरू स्थित देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ सौदे में कथित घोटाले के संबंध में शुरू किया गया था।

ट्रिब्यूनल ने कहा, "यह स्पष्ट है कि प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर (पीएओ), वास्तविक शिकायत और विवादित आदेश को सीबीआई के आरोपपत्र से बस कॉपी-पेस्ट कर लिया गया है।"

आदेश के अनुसार, "आश्चर्यजनक तरीके से, दस्तावेजों की सामग्रियां लगभग समान हैं और जो दिखाता है कि प्रतिवादी नंबर 1 (प्रवर्तन निदेशालय, बेंगलौर के उपनिदेशक), पीएओ को लिखने वाले और वास्तविक शिकायत और एडजुडिकेटिंग अथारिटी यानी खारिज आदेश के लेखक ने अपने दिमाग का प्रयोग नहीं किया।"

ट्रिब्यूनल ने पाया कि जिस व्यक्ति ने संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया था, वह न्यायिक सदस्य नहीं था।

ट्रिब्यूनल पीठ ने कहा, "आदेश को बहुत ही सामान्य तरीके से पारित कर दिया गया। इस तरह के गंभीर मामले में कॉपी-पेस्ट स्वीकार्य नहीं है।"

--आईएएनएस

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