नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेज हैं। इन कॉलेजों में जहां शिक्षकों की भारी कमी है, वहीं इनमें दिल्ली सरकार की गवनिर्ंग बॉडी का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है। शिक्षकों का कहना है कि इन कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर नियुक्ति से पहले गवनिर्ंग बॉडी बनाई जाए। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने कॉलेजों में खाली पड़े प्रिंसिपल व सहायक प्रोफेसर के पदों को भरने के लिए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से भी मांग की है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध दिल्ली सरकार के 20 से अधिक कॉलेजों में स्थाई प्रिंसिपल के पद खाली पड़े है। लगभग 79 कॉलेजों में 5000 सहायक प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति की जानी है। इसके अलावा विभिन्न विभागों में 800 पदों पर नियुक्ति किए जाने को लेकर साल 2018-2019 में नियुक्ति निकाली गई थी। इनकी समय सीमा नवम्बर - दिसम्बर 2020 में समाप्त हो चुकी है। कुछ कॉलेजों की सितंबर 2021 में समय सीमा समाप्त हो गई है। इन पदों को भरने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब फिर से सकरुलर जारी किया है।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए ) के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने कहा कि सरकार की गवनिर्ंग बॉडी बनने के बाद ही प्रिंसिपलों की स्थायी नियुक्ति संबंधी रोस्टर तैयार कराएं, रोस्टर के अनुसार आरक्षण नीति के तहत एससी, एसटी, ओबीसी व पीडब्ल्यूडी के शिक्षकों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाये ।
संसदीय समिति ने एक रिपोर्ट भी लोकसभा में प्रस्तुत की थी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों को क्लब करके रोस्टर रजिस्टर तैयार किया जाए। दिल्ली सरकार के 20 कॉलेजों में प्रिंसिपल के पदों पर स्थायी नियुक्ति होनी है। इन पदों पर ऑफिसिएटिंग प्रिंसिपल लगे हुए हैं।
डॉ सुमन ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि वह अपने वित्त पोषित 28 कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर आरक्षण लागू करते हुए एससी, एसटी, ओबीसी व पीडब्ल्यूडी कोटे के अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रिंसिपल पदों पर करें और सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दे तभी सामाजिक न्याय होगा।
पिछले छह साल से संसदीय समिति की रिपोर्ट पर धूल पड़ रही है । विश्वविद्यालय द्वारा उस पर कोई कार्यवाही नहीं करने पर उन्होंने गहरा रोष व्यक्त किया है और कहा है कि प्रिंसिपल पदों का रोस्टर बनाकर इन पदों को विज्ञापित करें ।
डॉ सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में लंबे समय से प्रिंसिपल पदों को नहीं भरा गया है । कुछ कॉलेजों में 5 साल और उससे अधिक समय से कार्यवाहक, ओएसडी के रूप में कार्य करते हुए हो गए हैं जबकि यूजीसी रेगुलेशन के अंतर्गत स्थायी प्रिंसिपल का कार्यकाल 5 साल का होता है। यह प्रिंसिपल उससे ज्यादा समय तक अपने पदों पर बने हुए हैं, मगर उनकी स्थायी नियुक्ति आज तक नहीं की गई। दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन बार-बार इन्हें एक्सटेंशन दे रहा है जबकि अधिकांश कॉलेजों ने अपने यहां प्रिंसिपल पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाले थे, लेकिन दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में गवनिर्ंग बॉडी को ज्यादा समय नहीं मिला जिसके कारण नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं कर पाए।
उन्होंने मांग की है कि विज्ञापन निकालने से पहले इन पदों का रोस्टर रजिस्टर तैयार कराया जाए । रोस्टर रजिस्टर तैयार होने पर जो पद एससी, एसटी ,ओबीसी व विक्लांगों के बनते है उसी के आधार पर इन पदों का विज्ञापन निकाला जाए। इसके बाद प्रिंसिपल पदों पर स्थायी नियुक्ति की जा सकती है।
दिल्ली सरकार के जिन कॉलेजों में प्रिंसिपल नहीं है उनमें श्री अरबिंदो कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज(सांध्य) मोतीलाल नेहरू कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य) सत्यवती कॉलेज, सत्यवती कॉलेज (सांध्य ) शहीद भगतसिंह कॉलेज ,शहीद भगतसिंह कॉलेज (सांध्य) श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज , भारती कॉलेज, इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज , राजधानी कॉलेज,शिवाजी कॉलेज , दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, गार्गी कॉलेज, कमला नेहरू कॉलेज , मैत्रीय कॉलेज महर्षि बाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन आदि शामिल हैं।
--आईएएनएस
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