नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था एकेडेमिक काउंसिल और अकादमिक मामलों की स्थायी समिति, चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) संरचना के कार्यान्वयन को पारित कर चुके हैं। शिक्षक संगठनों ने इसपर अपना विरोध और असहमति जताई है। हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय इसके बावजूद यह स्पष्ट किया है कि 2022-23 से चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) लागू कर दिया जाएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय में डूटा सहित विभिन्न शिक्षक संघों द्वारा नई शिक्षा नीति के कई प्रावधानों का कड़ा विरोध है। शिक्षक खासतौर पर 4 वर्षीय स्नातक कार्यक्रम को लागू नहीं करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय का आधिकारिक तौर पर कहना है अगले वर्ष शुरू होने वाले सत्र से यह कार्यक्रम लागू किया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दिल्ली विश्वविद्यालय का कहना है कि एफवाईयूपी लागू होने से छात्रों को प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या डिग्री के साथ पाठ्यक्रमों से बाहर निकलने की अनुमति देने से लचीलेपन की अनुमति मिलेगी। हालांकि शिक्षकों ने कहा कि इससे हाशिए पर रहने वाले वर्गों के छात्र अधिक ड्रॉपआउट होंगे और अंतिम वर्ष में छात्रों के संख्या में भी बदलाव आएगा।
कई सदस्यों ने एकेडेमिक काउंसिल में असहमति नोट देकर अपनी असहमति दर्ज कराई है।
दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था एकेडेमिक काउंसिल की बैठक में एकेडेमिक काउंसिल के कई सदस्यों ने इस 4 वर्षीय पाठ्यक्रम का विरोध किया। एकेडमिक काउंसिल की बैठक में शामिल रहे काउंसिल के सदस्य हैं डॉ सुनील कुमार व डॉ आशा रानी ने नई शिक्षा नीति के कई प्रावधानों का विरोध किया है।
सुनील कुमार व डॉ आशा रानी ने कहा कि उन्होंने उन सभी प्रावधानों का विरोध किया जो सेवा शर्तों, शिक्षकों की संख्या और स्थिति, केंद्र सरकार से अनुदान, डीयू के यूजी, पीजी, अनुसंधान और नवाचार कार्यक्रमों की शैक्षणिक सामग्री में कमी, सांविधिक निकायों की संरचना और कामकाज पर प्रतिकूल असर डालते हैं।
डूटा की कोषाध्यक्ष आभा देव हबीब ने कहा कि एफवाईयूपी 2013 के अनुभव से पता चलता है कि छात्रों ने चौथे वर्ष के लिए अतिरिक्त खर्च के विचार को खारिज कर चुके हैं।
एकेडेमिक काउंसिल सदस्यों डॉ सुनील कुमार का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा एनईपी समिति द्वारा तैयार की गई सिफारिशों को व्यापक विचार-विमर्श के लिए रखा जाना चाहिए। यह दस्तावेज अकादमिक परिषद में चर्चा के लिए उपयुक्त नहीं है और इस पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने सरकार और शिक्षाविदों को याद दिलाया है कि वर्ष 2013 में 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रम यानी एफवाईयूपी के अनुभव से पता चलता है कि छात्रों ने चौथे वर्ष के लिए अतिरिक्त खर्च के विचार को खारिज कर दिया। एक बार फिर हम एक ऐसी ही आपदा के कगार पर हैं।
--आईएएनएस
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