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कोविड-19 के बीच सार्थक की ओर से दिव्यांगजनों के डिजिटल सशक्तिकरण ने रोजगार के नए अवसर खोले

Digital empowerment of Divyangjans opened up new employment opportunities on behalf of Sarthak in the midst of covid-19 - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली । कोविड-19 का प्रकोप समाज के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन 2008 से 10 लाख से अधिक विकलांग व्यक्तियों (PwDs) को सशक्त बनाने वाले एक सामाजिक संगठन- सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट ने तुरंत कोविड-19 के बाद के नए सामान्य को देखते हुए सक्रियता दिखाई। लॉकडाउन की शुरुआत के साथ ही संस्था ने दिव्यांगों के लिए वर्चुअल ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत की। तब से अब तक 5,000 से अधिक लोगों को ऑनलाइन सेशंस के माध्यम से डिजिटल रूप से सशक्त बनाया है।


अच्छी बात यह है कि उनमें से 3,000 विकलांगों को वर्क फ्रॉम होम विकल्प के साथ कॉर्पोरेट घरानों ने काम पर रखा है। पिछले 13 वर्षों में सार्थक ने 22,000 से अधिक विकलांगों को विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियों के साथ सशक्त बनाया है और कोविड-19 के प्रकोप के साथ संगठन ने सुनिश्चित किया कि यह दिव्यांगों के लिए एक वरदान का स्वरूप लें। सार्थक के '13वें वार्षिक दिवस' समारोह के दौरान इन उपलब्धियों और मील के पत्थरों पर प्रकाश डाला गया। आज अपना 13वां स्थापना दिवस मनाते हुए सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट ने वस्तुतः विकलांगता से संबंधित मुद्दों पर पैनल डिस्कशन आयोजन किया। डिजिटल सशक्तिकरण, रोजगार सारथी और विकलांगों के लिए तीन नए व्यावसायिक कौशल भवन और सस्टेनेबेल एम्प्लॉयमेंट सेंटर खोलने सहित कई पहलों की घोषणा की। विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए अपने अन्य कार्यक्षेत्र के साथ कोविड-19 के दौरान सार्थक ने अपने बच्चों की मदद करने के प्रयास में माता-पिता को प्रशिक्षित करने के लिए कमर कस ली है। सार्थक अब तक 2500 से अधिक विशेष आवश्यकता वाले बच्चों और उनके माता-पिता को सशक्त बना चुका है। नई पहल का उद्देश्य बच्चों को उनके विकास में बाधा डाले बिना सर्वोत्तम तरीके से सशक्त बनाना है।


शुरुआती पैनल डिस्कशन को संबोधित करते हुए सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक और सीईओ डॉ जितेंद्र अग्रवाल ने कहा, “पिछले 13 वर्षों में हमने 10,00,000 (एक मिलियन या दस लाख) से अधिक विकलांगों के जीवन को सफलतापूर्वक छूआ है। हम कई क्षेत्रों में 22,000 से अधिक विकलांगों को नियुक्त करने में सक्षम रहे हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान भी सार्थक ने अपनी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए कोशिशें की हैं। लॉकडाउन की घोषणा के एक हफ्ते के भीतर सार्थक ने अपने सदस्यों के लिए वर्चुअल ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया। तब से लगभग 5,000 विकलांग लोगों को ऑनलाइन सत्रों के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया गया है, जिनमें से 3,000 से अधिक विकलांग लोगों को वर्क फ्रॉम होम विकल्प के साथ प्रमुख कॉर्पोरेट घरानों में नौकरी मिली है।” उन्होंने कहा, "सार्थक का संकल्प और उद्देश्य, विकलांग लोगों की सेवा करना और उन्हें स्वतंत्र और आत्मनिर्भर व्यक्ति बनने के लिए सशक्त बनाना है और इस महामारी के समय में भी उसमें कोई बदलाव नहीं आया है। सार्थक में हम सभी प्रशिक्षण के ऑनलाइन माध्यमों पर स्विच करने और भारत के हर कोने तक पहुंचने के लिए तैयार हैं। वर्चुअल माध्यमों का इस्तेमाल करते हुए बड़े पैमाने पर पहुंच ने सार्थक को विकलांगों के लिए बड़े पैमाने पर पुल बनाने में मदद की है।” लिए तीन नए व्यावसायिक कौशल भवन और सस्टेनेबेल एम्प्लॉयमेंट सेंटर खोलने सहित कई पहलों की घोषणा की। विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए अपने अन्य कार्यक्षेत्र के साथ कोविड-19 के दौरान सार्थक ने अपने बच्चों की मदद करने के प्रयास में माता-पिता को प्रशिक्षित करने के लिए कमर कस ली है। सार्थक अब तक 2500 से अधिक विशेष आवश्यकता वाले बच्चों और उनके माता-पिता को सशक्त बना चुका है। नई पहल का उद्देश्य बच्चों को उनके विकास में बाधा डाले बिना सर्वोत्तम तरीके से सशक्त बनाना है।






वर्चुअल इवेंट में 'रोजगार सारथी' का अनावरण भी हुआ। यह एक एकमात्र ऐसा मंच है जहां सार्थक विकलांग व्यक्तियों (नौकरी चाहने वालों) को नौकरी से जोड़ता है। उम्मीदवार ने रजिस्ट्रेशन कर लिया है तो उम्मीदवार को उपयुक्त नौकरियों के बारे में संदेश भेजकर सूचित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों की परेशानी को दूर करना है। सार्थक ने विकलांगों की पहुंच को अधिकतम बनाने के लिए अहमदाबाद, वाराणसी और तिरुवनंतपुरम में अपने नए व्यावसायिक कौशल भवन और सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट सेंटरों की स्थापना की भी घोषणा की।

उद्घाटन सत्र के दौरान श्री संजीव मेहता, अध्यक्ष, हिंदुस्तान यूनिलीवर, सुश्री गरिमा गुप्ता, सचिव, समाज कल्याण विभाग, एनसीटी दिल्ली सरकार, पद्म भूषण डॉ एमबी अत्रेय, संरक्षक, सार्थक, लव वर्मा, पूर्व सचिव, विकलांगता विभाग, भारत सरकार, श्री कृष्ण कालरा, बोर्ड सदस्य, सार्थक, रंजन चोपड़ा, एमडी, टीम कंप्यूटर्स ने अपने विचार साझा किए।

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजीव मेहता थे। सार्थक के प्रयासों और पहलों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “किसी भी अन्य संकट की तरह महामारी ने देश में हाशिए पर रह रहे सामाजिक समूहों को बराबरी से प्रभावित किया है। इसमें भारत में लगभग 2.68 करोड़ विकलांग व्यक्ति शामिल हैं। इस आयोजन का उद्देश्य कोविड-19 के बाद की दुनिया में विकलांग व्यक्तियों की सुरक्षा और उनका मार्गदर्शन करने के लिए व्यापक नीतियां बनाना है।

पैनल डिस्कशन के दौरान 'निःशक्तजनों के समावेश और सशक्तिकरण के 13 वर्ष' विषय पर पैनल के सदस्यों ने डिजिटल माध्यमों, नौकरियों के अवसरों और विकलांगों के समावेशन के लिए शारीरिक, मनोवृत्ति और वित्तीय बाधाओं को पाटने की योजनाओं पर विचार-विमर्श किया। ताकि समावेशन की गति बढ़ाकर कोविड-19 के बाद की दुनिया में विकलांग व्यक्तियों के लिए एक स्थान बनाया जा सके, जो उनके सशक्तिकरण का नेतृत्व करें।

अन्य पैनल डिस्कशनों में ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन एक्सपर्ट्स, पॉलिसीमेकर्स और इन्फ्लूएंसर्स ने कोविड-19 के बाद की स्थिति में विकलांगता को समावेशी और सस्टेनेबल वर्ल्ड बनाने के लिए सीएसआर स्ट्रैटेजी, बिल्डिंग बैक बेटरः डिसेबिलिटी डायवर्सिटी एंड इन्क्लूजन, सरकारी और कॉर्पोरेट सीएसआर स्ट्रैटेजी, पॉवर ऑफ स्टोरीटेलिंगः डिसेबिलिटी एंड मीडिया एंड स्केलिंग पॉलिसी, प्रोग्राम एंड प्रोसेसेस पर अपने विचार व्यक्त किए।

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