नई दिल्ली। नोटबंदी के समय 80,000 करदाताओं ने कैश की एक महत्वपूर्ण संख्या बैंक में जमा करवाई थी लेकिन वह आयकर विभाग द्वारा भेजे गए प्रारंभिक नोटिस का जवाब देने और वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए अपने टैक्स रिटर्न (कर विवरणी) प्रस्तुत करने में भी असफल रहे। अब उन सभी को 'सर्वश्रेष्ठ निर्णय' के मूल्यांकन के अधीन होना होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वरिष्ठ अधिकारी को जारी की गई अधिसूचना के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मानक संचालन प्रक्रिया को निर्धारित कर दिया है।
इससे पहले आयकर विभाग ने लगभग 3 लाख व्यक्तियों को धारा 142 (a) के तहत नोटिस जारी किए थे। जिसमें उन्हें कैश जमा करने से संबंधित और 2015-16 के आयकर रिटर्न की जानकारी देने के लिए कहा गया था। 80,000 मामलों में आयकर विभाग को कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। सीबीडीटी का कहना है कि 'सर्वश्रेष्ठ निर्णय' को 31 मार्च तक पूरा करना होगा या नवीनतम 30 जून तक का होना चाहिए।
नंगला एडवाइजर्स के प्रबंध साझेदार राकेश नंगला ने बताया, 'यह करदाता अब आयकर विभाग के रडार पर हैं क्योंकि कर अधिकारियों के पास यह अधिकार है कि वह उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा सूचना प्राप्त कर सकते हैं और वह इस सूचना के आधार पर उनकी कुल आय की जांच कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो आयकर अधिकारियों के पास यह अधिकार है कि वह करदाता की कुल घोषित संपत्ति के आधार पर उसकी कुल आय की जांच कर सकता है।'
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