नई दिल्ली। बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के बाद अब पूर्व केन्द्रीय मंत्री
अरुण शौरी ने केन्द्र सरकार को आर्थिक मोर्चो पर फेल बताते हुए जमकर हमला
बोला। अरुण शौरी ने सरकार को आर्थिक मु्द्दों पर कटघरे में खडा करते हुए
कहा केन्द्र में ढाई लोगों की सरकार है और यह सरकार विशेषज्ञों की बात नहीं
सुनती है। कमजोर आर्थिक ग्रोथ और नौकरियों के कम होते अवसरों पर केंद्र
सरकार पर निशाना साधते हुए अरुण शौरी ने कहा कि नोटबंदी का फैसला आत्महत्या
करने जैसा था। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह कुछ ज्यादा ही बहादुरी
वाला फैसला था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
शौरी ने सीधे पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए
कहा कि रहस्योद्घाटनों की सरकार है। उन्होंने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि
पीएम मोदी को एक दिन यह ज्ञान होता है कि नोटबंदी की जानी चाहिए और वह कर
देते हैं। यदि यह बहादुरी वाला कदम था। तो मैं आपको याद दिला दूं कि
आत्महत्या करना भी बहादुरी भरा फैसला ही होता है।
एनडीटीवी को दिए
एक साक्षात्कार में अरुण शौरी ने नोटबंदी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में
कहा है कि नोटबंदी एक बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम थी। इसके तहत बड़े पैमाने
पर काले धन को सफेद किया गया। इस बात का प्रमाण खुद आरबीआई ने यह कहकर
दिया है कि नोटबंदी के दौरान 99 फीसदी पुराने नोट बैंकों में जमा किए गए।
उन्होंने
कहा है कि देश इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है और यह संकट नासमझी में
लिए गए जीएसटी के फैसले से पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे लागू
करने में इतनी जल्दबाजी दिखाई कि इंफोसिस को जीएसटी सॉफ्टवेयर का ट्रायल
नहीं करने दिया गया। जीएसटी का फॉर्म बहुत जटिल है और इसके डिजाइन में कई
बड़ी खामियां हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी को लेकर सरकार को तीन महीने में
सात बार नियम बदलने पडे। जीएसटी का सीधा असर छोटे और मझोले उद्योगों पर पड़
रहा है। इससे उद्योगों के उत्पादों की बिक्री तथा उनकी आमदनी में गिरावट
आई है।
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