पूर्व में 14 नंवबर व 12 दिसंबर 2019 को फैसले की तारीख मुकर्रर थी।
अधिवक्ताओं की हड़ताल व विशेष कारणों की वजह से सुनवाई की तारीख को आगे
बढ़ी थी।
सीबीआई जांच में पाया गया था कि बालिका गृह में पीड़िताओं
के साथ ना केवल बालिका गृह में कर्मचारी गलत काम कर रहे थे, बल्कि बिहार
सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी भी उसमें शामिल थे। बच्चियों का
यौन शोषण हुआ। हालांकि, आरोपितों ने अदालत में सुनवाई के दौरान अपने आप को
बेकसूर बताया था। साथ ही उन्होंने अदालत में मुकदमे का सामना करने की मंशा
जाहिर की थी। उसके बाद यह सुनवाई शुरू हुई थी।
इस मामले में
बालिका गृह का संचालक ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी है। सीबीआई के मुताबिक, इस
बालिका गृह में 34 लड़कियां 7 से 17 साल की उम्र के बीच की थी जिनके साथ
महीनों से यौन शोषण हो रहा था।
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