नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश से जुड़े एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर यहां की एक अदालत ने गुरुवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आदेश सुरक्षित रख लिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अब इस मामले में 14 मार्च को फैसला सुनाए जाने की संभावना है।
जमानत याचिका का विरोध करते हुए, विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने फरवरी 2020 में अमरावती में उमर खालिद द्वारा दिए गए भाषण की प्रासंगिकता पर तर्क दिया।
उन्होंने कहा कि 11 फरवरी को जमानत अर्जी खारिज कर दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा की घोषणा उसी दिन हुई थी।
सुनवाई के दौरान खालिद के वकील ने भारतीय दंड संहिता और यूएपीए के तहत आरोपों का विरोध करते हुए आरोपपत्र को 'कल्पना का काम' करार दिया।
उन्होंने तर्क दिया कि खालिद द्वारा दिया गया भाषण गांधी, सद्भाव और संविधान के बारे में था और यह कोई अपराध नहीं है।
दलीलों के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया।
खालिद पर 2020 में हुए पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के संबंध में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया है।
--आईएएनएस
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