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दिल्ली : कोराना संक्रमण के बीच कुलियों की राह आसान नहीं

Delhi: Ports path not easy between Korana transition - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 1237 कुली काम करते है, जिसमें से फिलहाल 250 से 300 कुली ही इस वक्त रेलवे स्टेशन पर कार्यरत हैं। लॉकडाउन की वजह से कुली अपने-अपने घर वापस चले गए थे, लेकिन अब धीरे धीरे रोजाना स्टेशन पर कुली फिर से काम करने के लिये आ रहे हैं।

दिल्ली में रोजाना हजारों की संख्या में कोरोना संक्रमित व्यक्ति सामने आ रहे हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि दुनिया का बोझ उठाने वाले इन मेहनतकश लोगों में कोई भी कोरोना संक्रमित नहीं है।

लाइसेंस पोर्टर इंस्पेक्टर(एलपीआई) पवन सांगवान ने आईएएनएस को बताया, "मैं हर तीसरे दिन इनके पास सैनिटाइजर और साबुन चेक करता हूं। हमने सभी कुलियों को निर्देश दिये हैं कि सामान उठाने के बाद सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। मैं इन सभी का धन्यवाद करता हूं कि इस महामारी में भी किसी ने कोई शिकायत नहीं की। 12 मई को नई दिल्ली स्टेशन पर सिर्फ 12 कुली कार्यरत थे। लेकिन अब स्टेशन पर इनकी संख्या बढ़ गई है।"

पवन सांगवान ने भी इस बात पर खुशी जताई कि अभी तक यहां का कोई भी कुली संक्रमित नहीं हैं।

उन्होंने कहा, "अगर कोई कुली बीमार होता है तो रेलवे ने ओपीडी की सुविधा दी हुई है।"

कुलियों की साल में 120 रुपये की पर्ची कटती है। जिसके बाद रेलवे की तरफ से इनका एक ट्रेवलिंग पास दिया जाता है। जिससे पूरे साल में एक बार कुली और उसका परिवार कहीं भी फ्री में यात्रा कर सकता है। जिसकी वैद्यता 5 महीने की होती है और साथ में 3 वर्दी भी दी जाती है। पूरे देश में 20000 से 23000 तक कुली हैं जिसमें से दिल्ली में 2000 से 3000 कुली हैं।

कुली शाहिद अहमद ने आईएएनएस को बताया, "मैं 3 दिन पहले ही अपने घर से वापस आया हूं। सुबह से अभी तक बोहनी नहीं हो पाई है। रेलवे स्टेशन पर यात्री न होने की वजह से बहुत दिक्कत हो रही है। नई दिल्ली आने वाले यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा घट गई है। सिर्फ यहां से यात्री वापस ही जा रहे हैं। हम जब भी किसी यात्री का सामान उठाते हैं, उससे पहले हम सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं और सामान रखने के बाद साबुन से हाथ धोकर फिर प्लेटफार्म पर आते हैं।"

उन्होंने कहा, "लॉकडाउन और कोरोना से पहले 500 रुपये से 800 रुपये तक रोजाना कमा लेते थे। सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक अब 400 रुपये भी नहीं कमा पा रहे हैं। पूरा-पूरा दिन निकल जाता है, तब जाकर 200 रुपये ही कमा पाते है। 40 किलो वजन के 100 रुपये लेते हैं, ये सरकार की तरफ से निर्धारित है। बाकी यात्री के ऊपर है अपनी तरफ से ज्यादा भी दे जाते हैं।"

दरअसल कुलियों का मानना है कि 'यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर लिफ्ट और एस्कलेटर की सुविधा दिए जाने की वजह से भी कुलियों की आमदनी पर काफी फर्क पड़ा है और फिलहाल कोरोना के चलते भी ये लोग मुश्किल में हैं। यात्री अब अपना सामान खुद उठा कर ले जाते हैं।

एक कुली ने कहा, "कितनी बार ऐसा होता है कि यात्री के पास पैसे नहीं होता, हम फिर भी उनका सामान उठा कर मदद करते हैं। हमें भी यात्रियों का दर्द समझ आता है, बस हमारा दर्द किसी को समझ नहीं आता।"

--आईएएनएस

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